समय कीमती, जिंदगी नहीं
रेलवे ट्रेक पर होने वाले हादसों से सबक न लेते हुए लोग बंद फाटक के नीचे से दोपहिया वाहन निकालना शान समझते हैं। वहीं राहगीर भी कुछ देर इंतजार न करते हुए फाटक के नीचे से निकल कर जान की परवाह नहीं करते। ऐसा ही दृश्य शहर व नई आबादी वाले क्षेत्र को जोड़ने वाले गंगानगर मार्ग पर देखने को मिला। यहां फाटक बंद होने की अवस्था में लोग ट्रेन का इंतजार करने की बजाए बंद फाटक के नीचे से दोपहिया वाहन निकालने की जद्दोजहद में लगे रहे।
प्रवीण कथूरिया, अबोहर : रेलवे ट्रेक पर होने वाले हादसों से सबक न लेते हुए लोग बंद फाटक के नीचे से दोपहिया वाहन निकालना शान समझते हैं। वहीं राहगीर भी कुछ देर इंतजार न करते हुए फाटक के नीचे से निकल कर जान की परवाह नहीं करते। ऐसा ही दृश्य शहर व नई आबादी वाले क्षेत्र को जोड़ने वाले गंगानगर मार्ग पर देखने को मिला। यहां फाटक बंद होने की अवस्था में लोग ट्रेन का इंतजार करने की बजाए बंद फाटक के नीचे से दोपहिया वाहन निकालने की जद्दोजहद में लगे रहे। शायद उन्हें अपनी जान से ज्यादा समय कीमती लगता है। हालांकि रेलवे के नियमों के तहत यह एक कानूनी अपराध है। अगर इस दौरान आरपीएफ कर्मचारी फाटक के पास मौजूद हो तो ऐसे लोग अवश्य जरा सब्र कर लेते। लेकिन यहां कभी ऐसा नहीं देखा कि फाटक बंद के दौरान कोई आरपीएफ का जवान मौजूद हो, जिसके चलते लोग मनमानी करते हुए जान पर खेल कर फाटक क्रास करते रहते हैं।
सुरक्षा के लिए किए जाते हैं फाटक बंद
ट्रेन गुजरने के दौरान लोगों की सुरक्षा के लिए फाटक बंद किए जाते हैं। लेकिन इसके बावजूद भी कुछ लोग इन सब बातों को दरकिनार करते हुए बंद फाटक के नीचे से निकलने का प्रयास करते हैं। इनमें साइकिल, स्कूटर, बाइक सवार ही नहीं, बल्कि पैदल चलने वाले बुजुर्ग, महिलाएं व स्कूली बच्चे भी शामिल हैं। जल्दबाजी में ये लोग यह भूल जाते हैं कि उनकी नासमझी उन्हें कितनी मंहगी पड़ सकती है। करीब दोपहर 12 बजे फाटक बंद होने पर श्रीगंगानगर रोड वाले रेलवे फाटक के नीचे से लोगों को गुजरते देखा गया।
500 रुपये जुर्माना व 6 माह की है सजा
रेलवे के नियमों के अनुसार बंद फाटक के नीचे से गुजरना कानूनी अपराध है और ऐसा करने वालों पर रेलवे एक्ट की धारा 147 के तहत मामला दर्ज किया जाता है और छह महीने की कैद व 500 रुपये जुर्माने अथवा दोनों एक साथ का प्रावधान है।
जीएम के दौरे में उठाएंगे अंडरपास बनाने की मांग
समाजसेवी राजू चराया ने कहा कि अबोहर में बेशक दो दर्जन बार यह फाटक बंद होता है और इससे समय बर्बाद होता है। लेकिन बंद फाटक के नीचे से गुजरना भी कहां की समझदारी है। फाटक की जगह यहां रेलवे अंडरपास बनना मंजूर हुआ था। लेकिन वह ठंडे बस्ते में चला गया। जब तक यहां अंडरपास नहीं बनता यह समस्या हल होने वाली नहीं है। चराया ने कहा कि अबोहर में रेलवे के जीएम के आगामी दिनों में होने वाले दौरे के दौरान यहां अंडरपास बनाने की बात रखी जाएगी।