बेटे से मां, पिता से बेटी व दोस्तों से आरकेस्ट्रा डांसर एेसे डूब गई गर्त में
पंजाब में नशा इस कदर हावी है कि इसके कारण कई घर परिवार बरबाद हो गए हैं। नशे में डूबने के अपने ही लोग कारण बन रहे हैं।
फिरोजपुर [प्रदीप कुमार सिंह]। नशे की सप्लाई लाइन तोड़ने के बेशक सरकार की तरफ से दावे किए जा रहे हैं, लेकिन नशे की स्थिति भयावह होती जा रही। अब तक सरहदी जिले फिरोजपुर में नशे की गिरफ्त में पुरुषों के ही घिरे होने की बात सामने आ रही थी, लेकिन एक सप्ताह से फिरोजपुर नशा छुड़ाओ केंद्र में जिस प्रकार से नशे की गिरफ्त में आई महिलाओं के भर्ती होने की संख्या बढ़ रही है, वह चिंताजनक है। हालांकि इक्का-दुक्का को छोड़कर ज्यादातर महिलाएं केंद्र में दाखिल होने की जगह ओपीडी में दवा लेकर चली जाती हैं।
महिलाओं की ओर से किए जा रहे नशे में मेडिकल व नॉन मेडिकल नशा दोनों शामिल हैं। फिरोजपुर नशा छुड़ाओ केंद्र में इसी सप्ताह उपचार के लिए आई महिलाओं में तीन ऐसी महिलाएं हैं, जो कि नशे की दलदल में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से अपनों के कारण फंसी हैं।
नशा छुड़ाओ केंद्र में बढ़ी मरीजों की संख्या
पंजाब सरकार की ओर से प्रदेश में बिगड़ते नशे के हालत पर अंकुश लगाने के लिए तंदुरुस्त पंजाब मिशन के तहत विभिन्न विभागों द्वारा चलाए जा रहे अभियान के तहत नशे की सप्लाई लाइन कमजोर होने के परिणाम स्वरूप इन दिनों नशा छुड़ाओं केंद्र की ओपीडी व केंद्र में दाखिल होने वाले मरीजों की संख्या बढ़ी है। आलम यह है कि 15 बिस्तर वाला वार्ड पूरी तरह से फुल है, ऐसे में दाखिल होने के लिए जो मरीज आ रहे है उन्हें दूसरी तिथियों में बुलाया जा रहा है।
केस -1
अक्सर सिर में दर्द रहता था, बेटे ने नशीला पदार्थ खाने को दिया, धीरे-धीरे आदत पड़ गई
पहली घटना एक 57 वर्षीय नशे के लत में डूबी महिला की है। महिला का 24 साल का बेटा है, जिसकी अभी शादी नहीं हुई। महिला के अनुसार उसके पैर के जोड़ों व सिर में दर्द रहता था, जिसकी एवज में बेटे ने एक दिन खाने के लिए कुछ दिया, उससे उसका दर्द कम हो गया, जिसके बाद वह अक्सर ही बेटे से वह पदार्थ मांगने लगी। धीरे-धीरे उसे इसकी आदत बन गई। बात में पता चला कि बेटा पहले अफीम का नशा करता था। अब वह हेरोइन का नशा करता है। उसे भी वह दर्द दूर करने के नाम पर नशा देने लगा था। अब दोनों का इलाज नशा छुड़ाओं केंद्र से चल रहा है।
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केस -2
पिता नशीली गोलियां छोड़ जाते थे, बेटी ने भी खानी शुरू दी
दूसरी घटना एक पुलिसकर्मी की 24 वर्षीय अविवाहिता बेटी की है। बेटी के अनुसार उसके पिता फाजिल्का में पुलिस विभाग में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत थे। दिनभर वह थक कर घर आते थे तो ट्रामाडोल व दूसरे मेडिकल नशे का इस्तेमाल करते थे। सुबह जाते समय वह दवाओं का पत्ता घर छोड़ जाते थे। लड़की की मां भी बीमार रहती थी तो घर के काम उसे ही ज्यादा करने पड़ते थे। ऐसे में वह ट्रामाडोल व दूसरी दवाएं खाने लगी, जिसकी वह आदी हो गई। अब हालत यह है कि वह ट्रामाडोल के 15 से 20 कैप्सूल एक दिन में खा जाती है, जबकि दूसरी नशा करने वाली दवाएं वह 15 कैप्शूल तक खा जाती है। अब वह नशा छोड़कर अपने भविष्य को संवारना चाहती है।
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केस -3
एनर्जी बढ़ाने के लिए दोस्तों ने दी हेराइन के इंजेक्शन लगाने की सलाह
तीसरी घटना फिरोजपुर शहर की ही है, जिसमें आरकेस्ट्रा में डांस करने वाली 19 वर्षीय युवती को उसके अपने ही साथियों ने हेरोइन के नशे का आदी बना दिया। पीड़ित युवती के अनुसार वह डांस करने के दौरान थक जाती थी, तो उसके साथियों ने उसे हेरोइन के इंजेक्शन के बारे में बताया कि इससे एनर्जी कम नहीं होती और वह ज्यादा एनर्जी के साथ डांस कर सकती है। धीरे-धीरे वह हेरोइन का इंजेक्शन स्वयं ही लगाने लगी और इसकी आदी हो गई, लेकिन अब उसकी हालत बहुत खराब हो गई। डांस करने को कौन कहे वह ठीक से अब चल भी नहीं पाती है। अब इससे छुटकारा पाना चाहती है।
नशे में घिरे लोग एचआइवी व हैपेटाइटिस से हो रहे ग्रस्त
सेहत विभाग के आंकड़ों के अनुसार 2017 नशे में लिप्त आए कुल 584 मरीजों में से 43 मरीज ऐसे रहे जिनमें एचआइवी व हेपेटाइटिस सी की पुष्टि हुई, जबकि 2018 में अब आए मरीजों में से 34 मरीजों में हेपेटाइटिस सी व एचआइवी की पुष्टि हो चुकी है।
लोगों में जागरूकता जरूरी
सिविल अस्पताल की मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. रचना मित्तल का कहना है कि जब तक लोग जागरूक नहीं होंगे, तब तक नशे को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता है। नशे में फंसे लोगों को उपचार की जरूरत है, चाहे वह पुरुष या फिर महिला। ऐसे लोगों को उपचार के लिए प्रेरित करें। उपचार से ही व्यक्ति ठीक हो सकता है।
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