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Firozpur: अंगुली ही नहीं फिर भी डोप टेस्ट में किया पास, आर्म्ड लाइसेंस

Firozpur डोप टेस्ट रिपोर्ट पर सरकारी आर्थो डाक्टर के जाली हस्ताक्षर कर आर्म्ड लाइसेंस जारी करने का फर्जीवाड़ा सामने आया है। बड़ी बात यह है कि जिस व्यक्ति की अंगुली ही नहीं है और उसे ही वेपन लाइसेंस जारी कर दिया गया है।

By Sanjay VermaEdited By: MOHAMMAD AQIB KHANPublished: Mon, 21 Nov 2022 10:18 PM (IST)Updated: Mon, 21 Nov 2022 10:20 PM (IST)
Firozpur: अंगुली ही नहीं फिर भी डोप टेस्ट में किया पास, आर्म्ड लाइसेंस
Firozpur: अंगुली ही नहीं फिर भी डोप टेस्ट में किया पास, आर्म्ड लाइसेंस : जागरण =

फिरोजपुर,तरूण जैन: डोप टेस्ट रिपोर्ट पर सरकारी आर्थो डाक्टर के जाली हस्ताक्षर कर आर्म्ड लाइसेंस जारी करने का फर्जीवाड़ा सामने आया है। बड़ी बात यह है कि जिस व्यक्ति की अंगुली ही नहीं है और उसे ही वेपन लाइसेंस जारी कर दिया गया है।

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मामला ध्यान में आने के बाद सिविल अस्पताल में तैनात डा. निखिल गुप्ता व डा. किनरा ने सीनियर मेडिकल अधिकारी (एसएमओ) को लिखित शिकायत देकर फर्जीवाड़े का पर्दाफाश करने की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि अस्पताल में उनके जाली हस्ताक्षर करके डोप टेस्ट करवाने आए लोगो को फिटनेस सर्टिफिकेट जारी किए जा रहे हैं।

डा. निखिल ने बताया कि जनवरी 2022 में एक व्यक्ति डोप टेस्ट रिपोर्ट पर मेडिकल फिटनेस करवाने के लिए उनके पास आया तो उसे फिजिकली फिट न मानते हुए उनके द्वारा हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। उसके बावजूद डोप टेस्ट फाइल पर उनके जाली हस्ताक्षर करके उक्त व्यक्ति को लाइसेंस भी जारी कर दिया गया है।

यह कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी डोप टेस्ट में धांधलियों के कई मामले सामने आ चुके हैं, जिसके बाद अस्पताल प्रशासन द्वारा डोप टेस्ट रूम को सीसीटीवी की नजर में कर दिया था। लेकिन यह फर्जीवाड़ा रुकने का नाम नहीं ले रहा है।

पहले भी आ चुके मामले

इससे पहले भी डोप टेस्ट में धांधलियों के आरोप लग चुके हैं और विभाग द्वारा एक एमएलटी सहित एक दर्जा चार कर्मचारी को फर्जीवाड़े का जिम्मेदार भी ठहराया जा चुका है। फरवरी-मार्च महीने में डोप टेस्ट की नेगेटिव रिपोर्ट देने के चल रहे खेल का मुद्दा सामने आने के बाद उस वक्त एसएमओ भुपिंदर कौर, डा. पंकज गुप्ता, हरीश कटारिया के नेतृत्व में एक बोर्ड का गठन किया गया था।

क्या है डोप टेस्ट

आर्म्ड लाइसेंस जारी करने से पहले व्यक्ति को डोप टेस्ट करवाना जरूरी होता है। इस क्रम में सरकारी अस्पताल में लाइसेंस लेने वाले का यूरिन टेस्ट किया जाता है ताकि पता चल सके कि वह नशे का प्रयोग तो नहीं करता। इसके अलावा उसकी निगाह, मानसिक स्थिति के अलावा उसकी फिजिकल फिटनेस को जानने के लिए आर्थो डाक्टर से चेकअप करवाना पड़ता है। पूरी तरह से फिटनेस मिलने के बाद व्यक्ति की फाइल को आगे प्रोसेस के लिए भेजा जाता है।


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