जिला परिषद, ब्लॉक समिति चुनावों से भाजपा के बड़े नेताओं ने बनाई दूरी
प्रदीप कुमार ¨सह, फिरोजपुर जिला परिषद व ब्लॉक समितियों की चुनाव प्राक्रिया के तहत मंगलवा
प्रदीप कुमार ¨सह, फिरोजपुर
जिला परिषद व ब्लॉक समितियों की चुनाव प्राक्रिया के तहत मंगलवार से नामाकंन पत्र भरे जाने हैं। चुनाव मैदान में सत्ताधारी कांग्रेस से टक्कर लेने की जगह भाजपा बिना लड़े ही सरेंडर करती दिखाई दे रही है। सत्तारूढ़ दल के नेता अपने प्रत्याशियों को जीत दिलाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाते हुए सभी संभव समीकरण बैठा रहे है। ऐसे में फिरोजपुर के वारिष्ठ भाजपा नेता कमल शर्मा, सुखपाल ¨सह नन्नू, डीपी चंदन व जिला प्रधान दे¨वदर बजाज फिरोजपुर से बाहर है, जबकि नामाकंन प्राक्रिया मंगलवार से शुरू हो रही है।
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की निकाय चुनाव से पहले फिरोजपुर शहर छोड़ने से पार्टी के वर्कर व संभावित प्रत्याशी हैरान है। पार्टी वर्करों की शिकायत है कि पार्टी के पूर्व प्रदेश प्रधान रहे कमल शर्मा फिरोजपुर को छोड़कर मोहाली, जिला योजना बोर्ड के चेयरमैन रहे डीपी चन्दन दिल्ली, पूर्व सीपीएस व भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश प्रधान सुखपाल ¨सह नन्नू होशियारपुर और भाजपा जिला प्रधान दे¨वदर बजाज चुनाव से ठीक पहल मथुरा-वृंदावन में जाकर बैठ गए हैं। यही नेता निकाय चुनाव के लिए बनाई गई कोर कमेटी के सदस्य भी है, जिन्हें प्रत्याशियों का चयन करना है। ऐसी स्थित में वह सभी वर्कर परेशान है कि उनके चहेते नेता तो शहर से बाहर चले गए है अब उन्हें प्रत्याशी बनाए जाने के लिए उनकी पैरवी कौन करेगा, चुनाव जीतने के लिए पिछले लंबे समय से वह लोग अपने-अपने क्षेत्र में सक्रिय रहे है, ऐसे में चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेसी खेमे में टिकट की कतार में लगे हुए है।
भाजपा पंजाब सचिव व फिरोजपुर चुनाव प्रभारी अनिल सरीन ने बताया कि संभावित प्रत्याशियों के साथ बैठकें कर रहे है, जिन उम्मीदवारों को चुनाव में खड़ा करना है, उनके नामों की सूची इलेक्शन कमेटी को दी जाएगी, इलेक्शन कमेटी की बैठक चार सितंबर को होनी है, बैठक में उम्मीदवारों की घोषणा की जाएगी। फिरोजपुर से पार्टी के सभी बड़े नेताओं के बाहर होने पर उन्होंने कहा कि जो भी नेता फिरोजपुर से बाहर है, उनकी उन्हें जानकारी है, सभी आवश्क कार्यो से बाहर है, जल्द वापस आ जाएंगे। उधर, भाजपा जिला प्रधान दे¨वदर बजाज ने बताया कि वह धार्मिक समागम में भाग लेने के लिए मथुरा-वृंदावन आए है, वह समागम के खत्म होते ही वापस फिरोजपुर जल्द लौट रहे है।
पार्टी में व्याप्त गुटबंदी बनी घातक
पार्टी वर्करों का कहना है कि फिरोजपुर भाजपा का गढ़ था, परंतु स्थानीय स्तर पर साफ रूप से दो गुटों में बंटे पार्टी नेताओं ने पार्टी का गर्त में पहुंचा दिया है। एक गुट, दूसरे गुट को कभी सफल होते नहीं देखना चाह रहा है। हालांकि दोनों गुटों के नेतृत्व कर्ता अब नाम के ही फिरोजपुर में दिखाई देते है, केवल फोटो ¨खचवाने के लिए फिरोजपुर आते है, ऐसे में वर्कर अपने को अनाथ देख रहे है, तो उनके समाने न चाहते हुए भी कांग्रेस खेमे में जाने के सिवाय कोई विकल्प नहीं है।
गत चुनाव में भाजपा की स्थिति: फिरोजपुर ब्लॉक समिति पर था भाजपा का कब्जा
विगत चुनाव में अकाली दल-भाजपा गठबंधन फिरोजपुर ब्लॉक समिति पर कब्जा करने में सफल रही थी। उक्त चुनाव में भाजपा को दस सीटें, अकाली दल को पांच सीटें, एक कांग्रेस व दो आजाद उम्मीदवार विजयी हुए थे। इसके अलावा भाजपा कोटे की दो जिला परिषद सीटों पर भी भाजपा के प्रत्याशी विजयी होने में सफल रहे थे।