विधायकों के कामों का भी मतदाता करेगा मूल्याकंन
प्रदीप कुमार सिंह, फिरोजपुर : लोकसभा चुनाव में मतदाता सांसद ही नहीं विधायकों के कार्यो को भी विकास क
प्रदीप कुमार सिंह, फिरोजपुर : लोकसभा चुनाव में मतदाता सांसद ही नहीं विधायकों के कार्यो को भी विकास की कसौटी पर रखकर मूल्याकंन करेगा। यदि विधायकों के कार्यो से हलके की जनता संतुष्ट नहीं हुई तो प्रदेश सरकार को इसका नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। ऐसी किसी भी स्थित से बचने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले ही विधायकों को उनकी मांग के अनुरूप विकास कार्यो के लिए धनराशि जारी किए जाने की घोषणा की जा चुकी है, फिर भी यदि विधायकों के हलके से प्रदेश में सत्तासीन पार्टी का प्रत्याशी बढ़त बनाने में असफल रहता है, तो इसका असर उक्त विधायक को पार्टी व सरकार में अपने रूतबे में हुई कमी के रूप में दिखाई पड़ेगा।
फिरोजपुर लोकसभा हलके में नौ विधानसभा है, जिसमें से छह विधानसभा फिरोजपुर शहरी, फिरोजपुर देहाती, गुरुहरसहाय, बल्लूआना, मलोट व फाजिल्का में कांग्रेस पार्टी का कब्जा है, जबकि जलालाबाद, अबोहर व मुक्तसर में शिअद-भाजपा गठबंधन का कब्जा है। ऐसी स्थित को देखते हुए कांग्रेस पार्टी द्वारा अपने विधायकों को सख्त निर्देश दिए गए है कि वह अपने-अपने हलके में सक्रिय रहे, ताकि उसका फायदा लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी को मिल सके। इसके लिए पहले ही प्रदेश सरकार द्वारा विधायकों की मांग के अनुरूप खजाने के मुंह खोले जा चुके हैं। हालांकि फिरोजपुर लोकसभा सीट पर पिछले पांच लोकसभा चुनावों से शिअद का कब्जा है, परंतु इस बार विधानसभा वाइज समीकरण बदला है और अब यहां की नौ विधानसभाओं में छह में कांग्रेस का कब्जा है, ऐसी स्थित में यदि कांग्रेस के विधायकों के विकास कार्यो से उनके हलके की जनता खुश होगी तो कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी के लिए यह बात बड़ी मददगार साबित होगी। परंतु यदि हलके के लोग नाखुश हुए तो इसका पार्टी प्रत्यशी को नुकसान भी उठाना पड़ेगा।
फिरोजपुर लोकसभा से शिअद प्रधान भी है विधायक
शिअद के प्रधान व प्रदेश के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल फिरोजपुर लोकसभा हलके के अंतर्गत पड़ते जलालाबाद विधानसभा से विधायक चुने गए हैं। हालांकि इस विधानसभा से दो बार विधायक कांग्रेस के संभावित लोकसभा प्रत्याशी शेर सिंह घुबाया रह चुके हैं। घुबाया का गढ़ जलालाबाद माना जाता है, ऐसे में यह रोचक व देखने वाली बात होगी कि जलालाबाद का मतदाता सुखबीर सिंह बादल के साथ जाता है या फिर शेर सिंह घुबाया के लिए। हालांकि अपने हलके में प्रदेश सरकार में उप-मुख्यमंत्री रहते हुए बादल ने विकास कार्यो के अंबार लगा दिए थे। विधानसभा का शायद ही कोई गांव व कोना बचा होगा जो कि विकास कार्यो से वंचित रहा हो।
कांग्रेस, शिअद एक-दूसरे के संभावित प्रत्याशियों पर निगाह लगाए है
शिअद से दो बार सांसद रहे शेर सिंह घुबाया द्वारा कांग्रेस का हाथ पकड़ लिए जाने से इस बार फिरोजपुर लोकसभा हलके का चुनाव दिलचस्प बन गया है। पिछले पांच चुनावों में शिअद प्रत्याशी को मिली जीत को देखते हुए अब तक हर कोई यह कह देता था कि यह शिअद की परंपरागत सीट, परंतु घुबाया के पार्टी बदल लेने से समीकरण कुछ बदल गया है, ऐसे में दोनों पार्टीयां एक-दूसरे की ओर निगाह लगाए बैठे है कि विरोधी दल का इस सीट से कौन प्रत्याशी होगा, उस प्रत्याशी को देखकर ही वह अपने प्रत्याशी को चुनाव मैदान मे उतारेगी ताकि उनके प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित हो सके।
प्रत्याशियों की घोषणा न होने से वर्कर बेचैन
प्रमुख प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस व शिअद-भाजपा गठबंधन द्वारा फिरोजपुर संसदीय सीट पर अपने प्रत्याशी की घोषणा न किए जाने से पार्टियों के वर्कर बेचैन है। वर्करों के अनुसार जब तक प्रत्याशी चुनाव मैदान में नहीं होगा तब तक वह किसके लिए वोट मांगे और किसके लिए चुनाव का माहौल तैयार करे। वर्करों की मांग है कि जल्द ही पार्टी प्रत्याशियों की घोषणा करे।