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लाव-लश्कर के साथ निकाली प्रभु जगन्नाथ की यात्रा, भक्तों ने खींचा रथ

फिरोजपुर कैंट : रविवार दोपहर फिरोजपुर कैंट में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा लाव-लश्कर के साथ निकली गई। भगवान श्रीकृष्ण, बलराम व सुभद्रा के रथ को श्रद्धालुओं ने खींचा। रथ में विराजमान प्रभु के दर्शन पाने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु उमड़े। रथयात्रा रामबाग से शुरू हुई, जो कैंट के विभिन्न हिस्सों व बाजारों से होती हुई वापस रामबाग आकर समाप्त हुई।

By JagranEdited By: Published: Sun, 03 Feb 2019 11:47 PM (IST)Updated: Sun, 03 Feb 2019 11:47 PM (IST)
लाव-लश्कर के साथ निकाली प्रभु जगन्नाथ की यात्रा, भक्तों ने खींचा रथ
लाव-लश्कर के साथ निकाली प्रभु जगन्नाथ की यात्रा, भक्तों ने खींचा रथ

जासं, फिरोजपुर कैंट : रविवार दोपहर फिरोजपुर कैंट में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा लाव-लश्कर के साथ निकली गई। भगवान श्रीकृष्ण, बलराम व सुभद्रा के रथ को श्रद्धालुओं ने खींचा। रथ में विराजमान प्रभु के दर्शन पाने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु उमड़े। रथयात्रा रामबाग से शुरू हुई, जो कैंट के विभिन्न हिस्सों व बाजारों से होती हुई वापस रामबाग आकर समाप्त हुई। प्राचीन काल से ओडि़सा प्रांत में स्थित जगन्नाथ पुरी धाम में प्रतिवर्ष प्रभु जगन्नाथ की रथयात्रा हर्षोल्लास से निकाली जाती है। लुधियाना, गुरदासपुर, बटाला, जालंधर के अलावा पंजाब के कई शहरों में भगवान जगन्नाथ की शोभायात्रा निकाली जा चुकी है, जिसे देखते हुए फिरोजपुर के श्रद्धालुओं की ओर से कैंट स्थित रामबाग से रथयात्रा निकाली गई। रथयात्रा का आयोजन जगन्नाथ रथ यात्रा कमेटी रामबाग की ओर से किया जा रहा है। यह यात्रा भगवान जगन्नाथ रथयात्रा कमेटी की ओर से निकाली गई।

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छह लाख रुपये से तैयार किया गया है रथ

गुरु रामानंद राय ने बताया कि भगवान जगरनाथ का रथ तैयार करने पर लगभग छह लाख रुपये का खर्च आया है और इसे बटाला में तैयार किया गया है। इसे तैयार करने में कारीगरों को पांच माह से अधिक का समय लगा है। रथ की ऊंचाई औसतन 18 फुट है, लेकिन इसे 26 फुट तक भी किया जा सकता है।

वृंदावन से शुरू हुई है रथयात्रा

युगों से जगन्नाथ रथयात्रा का महत्व है, ऐसा माना जाता है कि बृजवासियों ने श्रीकृष्ण से वृंदावन चलने का आग्रह किया तो भगवान कृष्ण उनके साथ चलने को तैयार हो गए। इस दौरान रथ के घोड़ों को खोलकर बृजवासी रथ को खींचने लगे, तब श्रीकृष्ण ने कहा कि जब बृजवासी मेरे रथ के घोड़े बन गए हैं तो मुझे जहां चाहे वहां ले जाएं। बृजवासी जय जगन्नाथ, जय बलदेव और जय सुभद्रा का जयघोष करते हुए भगवान श्रीकृष्ण का रथ वृंदावन लेकर आए। तभी से यह परंपरा शुरू हुई और प्रतिवर्ष फरवरी या मार्च के प्रथम सप्ताह में यह यात्रा निकाली जाती है।

श्रद्धालुओं के रहने, खाने-पीने के किए गए हैं खास प्रबंध

कमेटी के सदस्यों ने कहा कि गर्व की बात है फिरोजपुर के इतिहास में दूसरी बार भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकालने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। जहां-जहां भी भगवान जगन्नाथ के भक्त बैठे हैं, हर कोने-कोने से हजारों श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है, जिनको लाने-ले जाने के लिए बसों का इंतजाम किया गया है। उनके रहने, खाने-पीने का सारा इंतजाम संस्था की ओर से किया गया। रथयात्रा के स्वागत में श्रद्धालुओं को रथयात्रा के आगे झाडू लगाते, रंगोली बनाते व लंगर बांटते देखा गया। रथयात्रा का जगह-जगह विभिन्न संगठनों द्वारा स्वागत किया गया।


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