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धर्म की रक्षा के लिए अवतार लेते हैं प्रभु : सोनिया

फिरोजपुर : दिव्य ज्योति जागृति संस्थान में सनातन धर्म सभा मंदिर में तीन दिवसीय श्री हरी कथा के अंतिम दिवस भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। साध्वी सोनिया भारती ने बताया की प्रत्येक युग में जब भी धरती पर धर्म की हानि होती है, और अधर्म बढ़ता है, तब-तब प्रभु का इस धरा पर अवतरण होता है। द्वापर युग में कंस के अत्याचारों से त्रस्त धरा को अधर्म से मुक्त करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने इस धरा धाम पर अवतार लिया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 11:07 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2019 11:07 PM (IST)
धर्म की रक्षा के लिए अवतार लेते हैं प्रभु : सोनिया
धर्म की रक्षा के लिए अवतार लेते हैं प्रभु : सोनिया

जासं, फिरोजपुर : दिव्य ज्योति जागृति संस्थान में सनातन धर्म सभा मंदिर में तीन दिवसीय श्री हरी कथा के अंतिम दिवस भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। साध्वी सोनिया भारती ने बताया की प्रत्येक युग में जब भी धरती पर धर्म की हानि होती है, और अधर्म बढ़ता है, तब-तब प्रभु का इस धरा पर अवतरण होता है। द्वापर युग में कंस के अत्याचारों से त्रस्त धरा को अधर्म से मुक्त करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने इस धरा धाम पर अवतार लिया।

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योग योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण के दिव्य एवं बहु आयामी व्यक्तित्व की विवेचना करते हुए साध्वी ने बताया कि श्री कृष्ण द्वारा अपने बाल्य काल से लेकर प्रयाण काल तक की गई प्रत्येक लीला का गूढ़ आध्यात्मिक रहस्य है, जो उन्हें समाज के लिए एक आदर्श पुत्र, आदर्श मित्र, आदर्श गौ संरक्षक, आदर्श नारी संरक्षक, आदर्श क्रांतिकारी, आदर्श संगीतज्ञ, आदर्श नर्तक, धर्म स्थापना हेतु आदर्श नीति मर्मज्ञ, आदर्श योद्धा व आदर्श प्रकृति प्रेमी के रूप में प्रस्तुत करती है। परन्तु दु:खद विषय है कि आज प्रबुद्ध वर्ग के लोग प्रभु की प्रत्येक लीला को भौतिक एवं बौद्धिक स्तर पर समझने का प्रयास तो करते हैं, लेकिन सनातन आध्यात्मिक पक्ष कहीं ना कहीं छूट जाता है। प्रभु दूध का सार तत्व माखन चुरा कर जहां जगत के सार तत्व ईश्वर को प्राप्त करने की प्रेरणा देते हैं, स्वस्थ एवं सुंदर समाज के निर्माण का संदेश भी देते हैं।

योग ही कर्म में कुशलता का रूपक

साध्वी ने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता कर्म की सार्थकता को पूर्णत: सिद्ध करती है कि योग: कर्मसु कौशलम् भाव कि ईश्वर के तत्व रूप से योग ही कर्म में कुशलता का रूपक है। आवश्यकता है कि जगद्गुरु कृष्ण की तरह हमारे जीवन में भी ऐसे गुरु आएं जो हमें अर्जुन की तरह हमारे भीतर तत्व रूप में ईश्वर का साक्षात्कार करवा दे। तभी अर्जुन की तरह हम ध्यान की गहनता में उतर कर भौतिक, मानसिक, बौद्धिक जीवन के हर युद्ध में विजयश्री का वरण कर सकते हैं। तभी जीवन और समाज की अज्ञानता, अनैतिकता और भ्रष्टाचार का हरण हो सकता है। इस अवसर पर महात्मा अश्वनी व साध्वी नयना भारती ने हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की.. भजन का गायन कर प्रभु भक्तों में कृष्ण भक्ति रस का प्रसार किया। उपरोक्त कार्यक्रम में मंदिर के प्रधान श्री बाल कृष्ण मित्तल जी, नानक मित्तल जी एवं अन्य कमेटी मेंबर उपस्थित थे कार्यक्रम का समापन प्रभु की पावन आरती से हुआ।


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