5178 शिक्षकों की पदोन्नति में देरी का विरोध
फिरोजपुर। पंजाब सरकार की तरफ से प्रदेश के सरकारी स्कूल में लगभग पिछले 10 साल से सेवा निभा रहे एसएसए, रमसा अध्यापक को रेगुलर करने के बहाना बड़े स्तर पर वेतन कटोती संबंधी लिए गए फैसल का विरोध किया जा रहा है।
संवाद सूत्र, फिरोजपुर : पंजाब सरकार की ओर से सरकारी स्कूलों में बीते 10 साल से सेवाएं दे रहे अध्यापकों को रेगुलर करने के बहाने बड़े स्तर पर वेतन कटौती के फैसल का विरोध किया जा रहा है। शिक्षा विभाग में नियुक्त 5178 मास्टर कैडर के अध्यापक को अपना कार्यकाल सफलतापूर्वक पूरा करने के बावजूद रेगुलर न करने का विरोध सांझा अध्यापक मोर्चा ने किया है। इसके विरोध में पटियाला में लगाए गए पक्के मोर्चे पर बैठे अध्यापक नेताओं को हक देने की बजाय निलंबित करने की गवर्नमेंट टीचर्स यूनियन ने निंदा की है। यूनियन के जिला प्रधान बलविंद्र ¨सह भुट्टो, सीनियर उपप्रधान राजीव हांडा, जनरल सचिव जसविंदर ¨सह ममदोट, वित्त सचिव बलविन्दर ¨सह चबा ने पंजाब सरकार की आलोचना करते कहा कि सभी योग्यताएं पुरी करते 5178 अध्यापक शिक्षा विभाग की मंजूर शुदा पोस्टों पर नवंबर, 2014 से तीन साल की ठेके की शर्त पर 6000 रुपये महीना वेतन पर भर्ती किए थे। नियुक्ति पत्र की शर्तों मुताबिक इन अध्यापकों को नवंबर 2017 में रेगुलर किया जाना बनता था। अक्टूबर 2017 में डायरेक्टर शिक्षा विभाग की तरफ से रेगुलर की फाइलें भी ले ली गई हैं। अब तीन साल दस महीने बाद भी अभी तक इन को रेगुलर नहीं किया गया। वित्त विभाग की तरफ से पत्र जारी करके नाम मात्र दी जा रही वेतन देना भी बंद कर दी गई है। यूनियन के प्रेस सचिव नीरज यादव ने कहा कि अध्यापकों को रेगुलर के नाम पर वेतन में 65-70 प्रतिशत तक के कटौती करना सरासर धक्का है। सरकार अपने खर्चों पर कटोती करने की बजाय मुलाजिमों का वेतन काटकर खजाना भरने जा रही है जोकि बिल्कुल गल्त है। सरकार के इस गैर संवैधानिक फैसले का विरोध कर रहे अध्यापक नेताओं को निलंबित करना सरासर गलत है। पटियाला में मरने व्रत पर बैठे 17 साथियों की ¨जदगी की परवाह किए बिना मुख्यमंत्री की तरफ से इजराइल दौरे को जरूरी समझना, उनकी अध्यापकों प्रति और शिक्षा प्रति सोच को दिखाता है। यूनियन के नेताओं के अनुसार अध्यापकों की मांगों को प्राथमिकता देते हुए उनको इंसाफ दिया जाना चाहिए। इस मौके पर संजीव टंडन, गौरव मुंजाल, संदीप टंडन आदि उपस्थित थे।