शिक्षा सचिव ने चल रही आनलाइन पढ़ाई की ली जानकारी
सचिव कृष्ण कुमार ने बुधवार को सरकारी सीसे स्कूल लड़के का दौरा कर ली जानकारी।
संवाद सहयोगी, अबोहर : शिक्षा : सचिव कृष्ण कुमार ने बुधवार को सरकारी सीसे स्कूल लड़के का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने शिक्षा विभाग द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं पर चर्चा की व जायजा लिया।
इस मौके पर जिला शिक्षा अधिकारी डा. सुखबीर सिंह बल, डिप्टी डीईओ बृज मोहन बेदी व अंजू रानी, जिला काआर्डीनेटर राजिदर कुमार, सोशल मीडिया इंचार्ज संदीप कुमार, स्मार्ट स्कूलों के कोआर्डीनेटर प्रदीप शर्मा व लवजीत ग्रेवाल, प्रिंसिपल परमिदर सिंह के अलावा तीनों ब्लाकों के बीपीईओ अजय छाबड़ा, सुनीता कुमारी व सतीश मिगलानी व प्रिंसिपल राजेश सचेदवा मौजूद थे। शिक्षा सचिव कृष्ण कुमार ने सभी के साथ बैठक करते हुए 9 व 10 जनवरी को होने वाली मास्टर केडर अध्यापकों की भर्ती परीक्षा के अलावा मिशन शत प्रतिशत, 7 व 8 जनवरी को होने वाली पैरेंट्स टीचर मीटिग के अलावा आनलाइन शिक्षा बारे विस्तार से चर्चा की व जानकारी हासिल की। उन्होंने स्मार्ट स्कूलों के पैरामीटर पूरा करने की हिदायत भी दी। उन्होंने कहा कि अध्यापक निरंतर बच्चों के संपर्क में रहे व उन्हें शिक्षा के साथ जोड़े रखने का भरपूर प्रयास किए। शिक्षा सचिव ने कहा कि स्कूलों में शिक्षा का स्तर उंचा उठाने व सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध करवाने के विशेष प्रयास किए जा रहे है व प्री प्राइमरी कक्षाओं पर विशेष फोकस किया जा रहा है। इस दौरान उन्होंने प्रिंसिपल राजेश सचदेवा के स्कूल सुधार को किए जा रहे प्रयासों की प्रशंसा करते हुए उन्हें स्कूल की दिख को सुधारने के लिए भी ध्यान देने के निर्देश दिए। उन्होंने डीइओ बल से जिले के सभी स्कूलों की रिपोर्ट भी ली व मिशन शत प्रतिशत, स्मार्ट स्कूल व अन्य योजनाओं को लागू करने की हिदायत दी। शिक्षा सचिव ने अपने दौरे को रुटीन का दौरा बताया। शिक्षा सचिव की खासियत यह रही कि वह सफर दौरान भी लगातार राज्य भर के अधिकारियों के साथ् आनलाइन मीटिग करते रहे।
अध्यापकों में मचा रहा हड़कंप
उधर, बुधवार सुबह ही शिक्षा सचिव के अबोहर आने की सूचना अध्यापकों में फैल गई, जिसके चलते अभिभावकों में हड़कंप मचा रहा। शहर के अलावा आसपास के स्कूलों वालों ने अपने अपने स्कूलों को चमकाना व रिकार्ड ठीक करना शुरू कर दिया। यहां तक कि अध्यापक एक दूसरे को फोन कर शिक्षा सचिव के बारे में बार-बार पूछते रहे, क्योंकि सभी को इस बात की आशंका थी कि कही शिक्षा सचिव उनके स्कूल में ही न पहुंच जाए लिहाजा अध्यापक पूरी तरह से सतर्क व सचेत रहे। आखिर जब तक स्कूल बंद करने का समय नहीं हो गया व शिक्षा सचिव के यहां से वापिस जाने की सूचना उन्हें नहीं मिल गई तब तक अध्यापकों की सांसे फूली ही रहीं व उसके बाद ही अध्यापकों ने राहत की सांस ली।