पहले मजबूरी थी अब शौक बन गए हैं मिट्टी के बर्तन
जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है वैसे ही मिट्टी के घड़े तथा सुराही की मांग भी बढ़ रही है।
अश्विनी गौड़, जीरा, (फिरोजपुर) : जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है, वैसे ही मिट्टी के घड़े तथा सुराही की मांग भी बढ़ रही है। डॉक्टरों के मुताबिक मिट्टी के बर्तनों में पानी पीना सेहत के लिए लाभदायक है। इस आधुनिक जमाने में नौजवान वर्ग फ्रिज का पानी पीना ज्यादा पसंद करता है, परंतु बदलते माहौल में लोग बिजली की खपत को कम करते हुए तथा सेहत की ओर ज्यादा ध्यान करते हुए मिट्टी के घड़े तथा सुराही की तरफ आकर्षित हो रहे है।
अब मिट्टी के बर्तनों को रसोई घर में रखना लोगों के लिए फैशन बन गया है। सुबह की चाय से लेकर मेहमानों के लिए परोसे जाने वाले कांच तथा चीनी के बर्तनों को मिट्टी के बर्तनों ने पछाड़ दिया है। खाना बनाने के लिए घरों में कुकर, तवा हांडी का इस्तेमाल हो रहा हैं।
लोगों का मानना है कि मिट्टी के बर्तनों में बना खाना सेहत के लिए फायदेमंद होता है। इससे आने वाली मिट्टी की खुशबू खाने के स्वाद का तथा जायके को दुगना कर देती है। मिंट्टी के बर्तन बनाने वाले रवि कुमार व समीर कुमार ने बताया कि बड़ी मेहनत के साथ मिट्टी के बर्तन तैयार किए जाते हैं तथा फिर इन्हें चुकाया जाता है तथा बाद में इन्हें आग में पकाकर फिर जाकर यह बर्तन तैयार होते हैं।
उन्होंने कहा कि आधुनिक समय में फ्रिज के आने के साथ मिट्टी के बर्तनों की महत्वता कम नहीं हुई। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण बसें न चलने के कारण गांवों से आने वाला ग्राहक उनके पास नहीं आ रहा।