बढ़ने लगी मसालों की डिमांड, कीमतों में आई बढ़ोतरी
इसे कोरोना का भय ही कहा जा सकता है कि जिन मसालों व देसी नुस्खों से लोगों ने मुंह मोड़ लिया था।
जतिंद्र पिंकल, फिरोजपुर : इसे कोरोना का भय ही कहा जा सकता है कि जिन मसालों व देसी नुस्खों से लोगों ने मुंह मोड़ लिया था, आज वही देसी नुस्खे व देसी मसाले लोगों को भाने लगे है। देसी काढ़ा के नाम पर मुंह चिढ़ाने वाले लोग अब इसका सेवन कर रहे है और दूसरे लोगों को भी इसका सेवन करने की सलाह देते है।
देसी काढ़ा, जिसमें दाल चीनी, सौंठ व काली मिर्च जैसे मसालों का खास महत्व है और इसमें मुनक्का व नींबू का रस डालने से इसकी ताकत व महत्व और बढ़ जाता है। बाजार में लॉकडाउन के चलते भले ही बाकी किराना की वस्तुओं में काफी उछाल देखने को मिला, लेकिन यह गनीमत रहा कि इन देसी नुस्खों व देसी दवाइयों में शामिल चीजों की कीमतों में मात्र 10 से 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी ही देखने को मिली है। वहीं, कोरोना के भय से युवा पीढ़ी व छोटे बच्चे भी इन देसी नुस्खों का प्रयोग कर रहे है। मांग व कीमतों में हुई बढ़ोतरी शहर के मेन बाजार में सरदार पापड़ वड़ियों वाला दुकान के मालिक पुशविंद्र सिंह ने कहा कि कोरोना के भय के चलते देसी दवाइयों में इस्तेमाल होने वाली चीजों के भाव में 10 से 15 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने बताया कि इनका इस्तेमाल भी कुछ हद तक बढ़ा है। बाक्स
उत्पादन----भाव (पहले)-----भाव (अब) काली मिर्च 500 रुपये प्रति किलो--- 550 रुपये दाल चीनी 500 रुपये----- 700 रुपये मलट्ठी 300 रुपये 350 रुपये सौंठ 400 रुपये 450 रुपये हल्दी 120-130 रुपये 150 रुपये गिरी बादाम (पिशोरी) 750 रुपये 800 रुपये
इसके अलावा गिरी बादाम (मोटी) जिसका रेट पहले 750 रुपये था अब इसकी कीमत में गिरावट आई है और इसके दाम 600 रुपये रह गए है।
वहीं, भंडारी किराना स्टोर के मालिक मोहित भंडारी ने कहा कि देखा जाए तो डिमांड के मुताबिक दामों में कुछ वृद्धि नहीं हुई है। उसने बताया कि कोरोना के चलते यह बात जरूर हुई है कि लोग पहले की अपेक्षा देसी नुस्खों को अधिक तरजीह देने लगे है, ताकि उनके शरीर में प्रतिरोधक शक्ति बढ़ सके।