भाजपा जिलाध्यक्ष के चयन को लेकर लीडरशिप में कशमकश
पांच माह बाद भी सीमावर्ती जिले में भाजपा जिलाध्यक्ष के नाम पर मोहर नहीं लग पाई है।
तरूण जैन, फिरोजपुर : पांच माह बाद भी सीमावर्ती जिले में भाजपा जिलाध्यक्ष के नाम पर मोहर नहीं लग पाई है, जिसका मुख्य कारण स्थानीय नेताओं में आपसी मतभेद बताएं जा रहे है। बेशक कमल शर्मा के निधन के बाद यह मतभेद जगजाहिर न हुए हो, लेकिन पार्टी के नेताओं द्वारा एक-दूसरे को नीचा दिखाने के लिए उच्चाधिकारियों तक हर छोटी-बड़ी बात बताई जा रही है।
वर्करों की नजर है कि आखिर किस व्यक्ति को हाईकमान जिले की भागड़ौर थमाती है। दरअसल जिस व्यक्ति पर संघ का आर्शीवाद होगा, उसे ही जिला प्रधान बनाया जाएगा। इसके चलते भाजपा नेताओं ने संघ के बड़े पदाधिकारियों तक पहुंच बनानी शुरू कर दी है।
जिला प्रभारी मोहन लाल सेठी ने बताया कि अगले कुछ दिनों में प्रदेशाध्यक्ष द्वारा फिरोजपुर के जिलाध्यक्ष की घोषणा कर दी जाएगी।
ऐसा पहली बार देखने को मिला कि 10 लोग प्रधानगी की चाहत में एक साथ मैदान में आएं हो। बेशक सभी सार्वजनिक तौर पर खुद को पार्टी का सिपाही, एकजुट होने की बात करते हो, लेकिन अंदरूनी तौर पर हरेक व्यक्ति एक-दूसरे को काटने की फिराक में लगा हुआ है।
प्रधानगी के ये 10 दावेदार जिला प्रधानगी की दौड़ में दविंद्र बजाज, जोरा सिंह संधू, सुशील गुप्ता, किक्कर सिंह कुतबेवाला, कृष्ण लाल नरूला, नतिंद्र मुखीजा, जुगराज सिंह कटोरा, जोहरी लाल यादव, सुरिद्र सिंह बगे के पिपल, अश्विनी कुमार शामिल है। सिर्फ नाम घोषित करना बाकी पता चला है कि पार्टी ने पहले से ही नए अध्यक्ष को लेकर नाम निश्चित कर रखा है। एक व्यक्ति ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि जिन लोगों ने प्रधानगी के नामांकन भरे है, उनसे पहले ही विड्राल के पर्चे भी भरवा लिए गए है, लेकिन इस संबंधी कोई भी खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। पिछले अध्यक्ष के चुनाव में दविंद्र बजाज के सामने संघ से संबंध रखने वाले कदावर नेता राजेश खुराना जिलाध्यक्ष की दौड़ में थे। लेकिन पार्टी द्वारा उन्हें अध्यक्ष न बनाएं जाने के बाद उन्होंने खुलकर पार्टी के सीनियर नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था और पिछले वर्ष ही अपनी पार्षद पत्नी के साथ कांग्रेस का दामन पकड़ लिया था। वैसे भी दविंद्र बजाज दो बार जिलाध्यक्ष रह चुके है।