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शाम सात बजे से सुबह 10 बजे तक कंबाइनों से धान न काटें किसान : डीसी

डीसी चंद्र गैंद ने जिले में शाम 7 बजे से सुबह 10 बजे तक कंबाइन से धान की कटाई पर मुकम्मल तौर पर पाबंदी लगाई है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Oct 2019 11:35 PM (IST)Updated: Wed, 16 Oct 2019 06:09 AM (IST)
शाम सात बजे से सुबह 10 बजे तक कंबाइनों से धान न काटें किसान : डीसी
शाम सात बजे से सुबह 10 बजे तक कंबाइनों से धान न काटें किसान : डीसी

जागरण संवाददाता, फिरोजपुर : डीसी चंद्र गैंद ने जिले में शाम 7 बजे से सुबह 10 बजे तक कंबाइन से धान की कटाई पर मुकम्मल तौर पर पाबंदी लगाई है। उनका कहना है कि धान की कटाई शुरू हो गई है और उसमें नमी भी पाई जा रही है। मंडियों में धान की आमद शुरू हो गई है। कई कंबाइनें मकान मालिकों की तरफ से धान की फसल पूरी तरह पकने से पहले ही नमी वाला धान काट लिया जा रहा है जिस पर खरीद एजेंसियों की तरफ से धान की बोली नहीं दी जाती, जिस करके मंडियों में तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो जाती है और मंडियों में जगह की भी कमी महसूस होती है।

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उन्होंने कहा कि बहुत सी कंबाइनें हारवेस्टर पुरानी हो चुकी हैं, जो धान के दानों की क्वालिटी को बुरी तरह के साथ प्रभावित करती हैं और कम्बाईनों में मैकेनिकल नुक्स होने के कारण टूटे हुए दानों की मात्रा काफी अधिक हो जाती है। इसलिए कंबाइनें चलने का समय सुबह 10 बजे से शाम सात बजे तक ही निश्चित किया गया है। इसके अलावा धान के अवशेष को खेत में न जाने पर रोक लगाई है। डीसी ने बताया कि ऐसा इसलिए किया गया है कि किसानों की तरफ से धान की फसल काटने उपरांत धान की पराली या अवशेष खूंहद को आग लगा दी जाती है, जिसके साथ हवा में धुएं के प्रवेश करने के साथ बहुत प्रदूषण फैलता है और वातावरण पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि इस धुएं के कारण आम जनता /बच्चों की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ने और बीमारियां लगने का डर बना रहता है और जानी और माली नुक्सान होने पर हादसे घटने की घटनाएं अधिक हो जाती है। इसके अलावा आस आसपास फसलों को आग लगने का डर भी बना रहता है और धान की पराली को आग लगाने साथ जमीन बीच वाले दुर्लभ और लाभदायक जीव -जंतुओं की विरासत का सरमाया खत्म हो जाता है। ये आदेश 30 नवंबर तक जारी रहेंगे।


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