खेत में पराली जलाने से मर जाते हैं मित्र कीड़े, उपजाऊ शक्ति हो जाती है खत्म
कृषि विभाग ने गांव कमाला मिड्डू में धान की पराली को आग न लगाने और उसकी संभाल के लिए किसानों को जागरूक करने के लिए कैंप लगाया।
जागरण संवाददाता, फिरोजपुर : कृषि विभाग ने गांव कमाला मिड्डू में धान की पराली को आग न लगाने और उसकी संभाल के लिए किसानों को जागरूक करने के लिए कैंप लगाया। कृषि अधिकारी डॉ. परविंदर ने बताया कि एक एकड़ धान की पराली जलाने से 11 किलो नाइट्रोजन, 406 किलो फासफोर्स, 50 किलो पोटाशियम, 2.4 किलो सल्फर, 800 किलो जैविक मृदा और मित्र कीड़े मर जाते हैं। इससे जमीन की उपजाऊ शक्ति बहुत कम हो जाती है। मुख्य कृषि अफसर गुरमेल सिंह ने बताया कि उनकी टीम की तरफ से गांव-गांव जाकर किसानों को पराली को आग न लगाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। डॉ. परविंदर सिंह ने बताया कि पराली को आग लगाना ही इसका हल नहीं है। पराली के प्रबंधन के लिए आज के युग में अनेकों आधुनिक यंत्र बन चुके हैं, जिनका प्रयोग करके पराली को जमीन में ही दबाया जा सकता है। इस मौके कृषि विभाग के अधिकारी, कर्मचारी और गांव कमाला मिड्डू के किसान भाई उपस्थित थे।