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बेसहारा पशुओं की समस्या के हल को वकील लड़ेंगे आरपार की लड़ाई

शहीदों के शहर में बढ़ती जा रही बेसहारा मवेशियों की समस्या से परेशान होकर अब वकीलों ने प्रशासन व सरकार के खिलाफ आर-पार की कानूनी जंग लड़ने का फैसला किया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 09 Jan 2020 11:46 PM (IST)Updated: Fri, 10 Jan 2020 06:11 AM (IST)
बेसहारा पशुओं की समस्या के हल को वकील लड़ेंगे आरपार की लड़ाई
बेसहारा पशुओं की समस्या के हल को वकील लड़ेंगे आरपार की लड़ाई

संवाद सूत्र, फिरोजपुर : शहीदों के शहर में बढ़ती जा रही बेसहारा मवेशियों की समस्या से परेशान होकर अब वकीलों ने प्रशासन व सरकार के खिलाफ आर-पार की कानूनी जंग लड़ने का फैसला किया है। वकीलों ने कहा कि सरकार द्वारा जनता से काउ सेस के रूप में करोड़ों रुपये टैक्स वसूलने के बावजूद न तो बेसहारा मवेशियों की देखभाल हेतू उचित प्रबंध किए है और न ही पशुओं के कारण सड़कों पर होने वाले हादसों से किसी को मुआवजा दिया है।

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प्रयास वेल्फेयर सोसायटी के सचिव एडवोकेट पंकज शर्मा, विनोद भारद्वाज, एडवोकेट सुशील अरोड़ा, नीरज मकोल, गगन गोकलानी, हरदीप बजाज, अनूप शर्मा, अमित चोपड़ा ने कहा कि फिरोजपुर के जिलाधिकारियों द्वारा जनता की भलाई हेतु अनेकों दावे कर वाहवाही लूटी जा रही है, लेकिन अधिकारियों का आजतक बेसहारा मवेशियों की तरफ ध्यान नहीं गया है। उन्होंने कहा कि पंजाब की सरकार भी गाय के नाम पर फंड इकट्ठा कर न तो गोशालाओ को राहत दे रही है और न ही लोगों को राहत प्रदान कर रही है।

उनके द्वारा सूचना के अधिकार के तहत पंजाब सरकार से जानकारी मांगी थी कि 2017 से 2019 तक कितना काउ सेस इकट्ठा किया और कहां खर्च किया, कितनी गोशालाएं सरकार से रजिस्टर्ड हैं। राज्य में कितने लोगों की बेसहारा मवेशियों के कारण मौत हुई और सरकार ने कितनों को मुआवजा दिया। उन्होंने कहा कि इन सवालों सहित कुल 10 सवाल पूछे थे, लेकिन विभाग ने पल्ला झाड़ते हुए सारी जानकारी वैब साइट से लेने के लिए लिखित में पत्र दे दिया और वेबसाइट पर ऐसी कोई भी जानकारी नहीं है। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा पहले ही कैंटोनमेंट बोर्ड, जिलाधीश व नगर कौंसिल के खिलाफ परमानैंट लोक अदालत में केस फाइल कर रखा है।

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फिरोजपुर में नहीं सरकारी कैटल पाऊंड

अकाली-भाजपा शासन में राज्य के 21 जिलों में सरकारी कैटल पाउंड बने थे, लेकिन फिरोजपुर में अभी तक इसका निर्माण नहीं हो पाया है, जिस कारण यहां पर सबसे ज्यादा समस्या पैदा हो रही है। जिला हेडक्वार्टर पर स्थित गोशालाओ में भी बेसहारा मवेशियों को जगह नहीं दी जाती। कुछ पदाधिकारी फंड तो कुछ जगह का अभाव बता देते हैं और प्रशासनिक अधिकारियों की इन पर मेहरबानी के चलते जनता बेसहारा गोवंश से दो चार हो रही है।

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गाय से ज्यादा सांड

शहर-छावनी की गलियों व सड़कों पर गाय से ज्यादा सांडों की संख्या है। किसान भी रोष जताने हेतु ट्रालियों में गाय व सांडों को डीसी कार्यालय के बाहर छोड़ जाते हैं। नगर में इन दिनों 400 से ज्यादा बेसहारा गोधन है,जिसे संभालने में जिलाधिकारी नाकाम साबित हो रहे हैं।


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