शहीद सराभा की जीवनी से कराया अवगत
जिला कानूनी सेवाएं अथारिटी द्वारा विद्यार्थियों में देश भक्ति की भावना पैदा करने के लिए शहीदों व देश भक्तों का संदेश घर घर पहुंचाने के उद्देश्य से संचखंड कान्वेंट स्कूल अबोहर में शहीद करतार ¨सह सराभा के शहीदी दिवस के उपलक्ष्य में कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसके मुख्य अतिथि लोक अदालत के सदस्य व पूर्व एसडीएम बीएल सिक्का थे व विशेष अतिथि अथारिटी के पैनल एडवोकेट देसराज कंबोज थे। सेमिनार की अध्यक्षता स्कूल की ¨प्रसिपल गोल्डन कौल ने की।
जागरण संवाददाता, अबोहर : जिला कानूनी सेवाएं अथारिटी द्वारा विद्यार्थियों में देशभक्ति की भावना पैदा करने और शहीदों व देश भक्तों का संदेश घर घर पहुंचाने के उद्देश्य से सचखंड कान्वेंट स्कूल अबोहर में शहीद करतार ¨सह सराभा के शहीदी दिवस के उपलक्ष्य में कार्यक्रम करवाया गया। मुख्य अतिथि लोक अदालत के सदस्य व पूर्व एसडीएम बीएल सिक्का और विशेष अतिथि अथारिटी के पैनल एडवोकेट देसराज कंबोज थे। सेमिनार की अध्यक्षता स्कूल की ¨प्रसिपल गोल्डन कौल ने की।
शहीद करतार ¨सह सराभा की जीवनी बारे जानकारी देते बीएल सिक्का ने कहा कि करतार ¨सह सराभा का जन्म 24 मई 1896 को माता साहिब कौर की कोख से हुआ। सराभा साहस की प्रतिमूर्ति थे। देश की आ•ादी से संबंधित किसी भी कार्य में वे हमेशा आगे रहते थे। 25 मार्च, 1913 ई. में ओरेगन प्रान्त में भारतीयों की एक बहुत बड़ी सभा हुई, जिसके मुख्य वक्ता लाला हरदयाल थे। उन्होंने सभा में भाषण देते हुए कहा था मुझे ऐसे युवकों की आवश्यकता है, जो भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राण दे सकें। इस पर सर्वप्रथम करतार ¨सह सराभा ने उठकर अपने आपको प्रस्तुत किया था तब लाला हरदयाल ने सराभा को अपने गले से लगा लिया था। श्री सिक्का ने कहा कि करतार ¨सह सराभा ने शहीद होने से पहले कहा था कि अगर कोई पुर्नजन्म का सिद्धांत है तो मैं भगवान से यही प्रार्थना करूंगा कि जब तक मेरा देश आ•ाद न हो मैं भारत की स्वतंत्रता में अपना जीवन न्यौछावर करता रहूं। 16 नवंबर 1915 को करतार ¨सह ने मात्र 19 साल की उम्र में हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूम लिया था।
एडवाकेट देसराज कंबोज ने कहा कि स्कूलों कालेजों के विद्यार्थी व अध्यापक शहीदों व देश भक्तों के सपनों को पूरा करने में अपना योगदान दे सकते हैं। कंबोज ने कहा कि विद्यार्थी साक्षरता क्लब स्थापित करके, लेख लिखकर, नारे व पोस्टर लिखकर, नुक्कड़ नाटक करके, गोष्टियां आयोजित करके और पेपर री¨डग के माध्यम से लोगों को महान शहीदों व देशभक्तों की कुर्बानियों का संदेश घर घर पहुंचा सकते हैं।