सरकारी अस्पताल में सात दिन इंतजार के बाद भी नहीं हुआ बच्चे का आपरेशन
जहां एक तरफ राज्य सरकार की ओर से लोगों को बेहतर सेहत सेवाएं देने के दावे किए जा रहे है
संवाद सहयोगी, अबोहर : जहां एक तरफ राज्य सरकार की ओर से लोगों को बेहतर सेहत सेवाएं देने के दावे किए जा रहे हैं, वहीं अबोहर के सरकारी अस्पताल में एनेस्थीसिया विशेषज्ञ की लापरवाही से पिछले ढाई साल में बेहोशी का टीका लगाने वाली जरनल एनेस्थीसिटी मशीन का पुर्जा नहीं बदला जा सका, जिस कारण पिछले ढाई साल से 10 साल से कम आयु के बच्चों के आपरेशन नहीं हो पाए व शुक्रवार को भी एक बच्चे को कई दिन इंतजार के बाद बिन आपरेशन करवाए लौटने को मजबूर होना पड़ा। बच्चे के परिजनों ने 104 नंबर पर शिकायत दर्ज करवा कर भी अपना रोष जताया है।
इंद्रा नगरी गली नंबर सात निवासी सपना रानी के सात साल के बेटे हरजोत सिंह की सात दिन पहले खेलते समय में टांग टूट गई थी, जिसे डा. सनमान माजी को दिखाने पर डाक्टर ने आपरेशन होने की बात कहकर उसे दाखिल कर लिया, लेकिन पिछले सप्ताह उसका आपरेशन इस कारण नहीं हो सका कि क्योंकि एनेस्थीसिया विशेयज्ञ छुट्टी पर था, लेकिन शुक्रवार को जब आपरेशन करने की तैयारी कर ली गई, तो एनेस्थीसिया विशेषज्ञ ने इस लिए आपरेशन के लिए बेहोशी का टीका लगाने से मना कर दिया, क्योंकि बेहोशी का टीका लगाने वाली मशीन खराब है व इसलिए बच्चे के आपरेशन करने का यहां रिस्क नहीं लिया जा सकता, लिहाजा बच्चे के परिजनों को फरीदकोट ले जाने का फरमान सुना दिया गया।
हालांकि बाद में परिवार ने इस बात के लिए भी हामी भरी कि बेहोशी का इंजेक्शन लगाने वाले किसी प्राइवेट डॉक्टर को बुला लिया जाए जिसकी वह फीस दे देगे लेकिन वह इस बात पर भी सहमत नहीं हुए।
सरकारी अस्पताल के डा. सनमान माजी ने कहा कि बच्चे की टांग का आपरेशन किया जाना है, जिसके लिए बेहोश करने की जरूरत रहती है पहले बेहोशी का इंजेक्शन एनेस्थीसिया विशेयज्ञ डा. पुनीत लूना छुट्टी पर चल रहा था, जिस कारण आपरेशन नहीं हो पाया, जबकि अब उन्होंने मना कर दिया है कि मशीन खराब है। ऐसे में वह आपरेशन करने मे असमर्थ हैं। प्रबंधक नहीं कर रहे सुनवाई : डा. लूना
उधर, एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डा. लूना ने कहा कि वह पिछले ढाई साल से काम कर रहे हैं तब से ही यह मशीन खराब पड़ी है। डा. लूना ने कहा कि उन्होंने अनेक बार अस्पताल प्रबंधक को इस बात के लिए आग्रह किया लेकिन आज तक प्रबंधक ने सुनवाई नहीं की, जिस कारण मशीन ठीक नहीं हो पाई।
निजी अस्पताल में करवाया बच्चे का आपरेशन
एसएमओ डा. नीरजा गुप्ता ने भी डा लूना को कहा है कि लेकिन उन्होंने मशीन के बिना बच्चे को बेहोश करने का रिस्क लेने से मना किया है। उधर, आखिर में परिजनों ने 104 पर इस बात की शिकायत कर अस्पताल के बाहर रोष जताया व अपने बच्चे को मजबूरी में आपरेशन करवाने के लिए किसी प्राइवेट अस्पताल में ले गए जहां उसका करीब तीस हजार का खर्च आएगा व इसके लिए समाजसेवी लोगाो ने उसकी सहायता की है।