मंडीकरण के साथ आढ़ती-किसानों का रिश्ता होगा खत्म
कोरोना वायरस के चलते जब सबकुछ बंद हो गया तो इसका असर साफ तौर पर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ा। तब किसानी की एक ऐसा साधन था जिसके चलते धीरे धीरे अर्थव्यवस्था सही हुई। लेकिन आज वही किसान कोरोना वायरस के समय सड़कों पर संघर्ष कर रहा है जिसका कारण बीते दिनी लाए गए तीन कृषि विधेयक हैं । कृषि अध्यादेश को लेकर आम किसानों से बात की गई तो उन्होंने इन अध्यादेशों को किसानी खत्म करने वाला बताया।
मोहित गिल्होत्रा, फाजिल्का : कोरोना वायरस के चलते जब सबकुछ बंद हो गया, तो इसका असर साफ तौर पर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ा। तब किसानी की एक ऐसा साधन था, जिसके चलते धीरे धीरे अर्थव्यवस्था सही हुई। लेकिन आज वही किसान कोरोना वायरस के समय सड़कों पर संघर्ष कर रहा है, जिसका कारण बीते दिनी लाए गए तीन कृषि विधेयक हैं । कृषि अध्यादेश को लेकर आम किसानों से बात की गई, तो उन्होंने इन अध्यादेशों को किसानी खत्म करने वाला बताया।
---
आढ़ती व किसान का रिश्ता होगा खत्म
गांव रामकोट के किसान दविद्र सहारण ने कहा कि इस कानून से किसान व आढ़ती का रिश्ता खत्म होगा। वहीं आढ़तियों के अलावा उनके साथ जुड़े मुनीम व मजदूरों का रोजगार भी प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि मंडियों पर प्राइवेट कंपनियों का एकाधिकार होगा, जिससे किसानों को समर्थन मूल्य नहीं मिलने से उनका आर्थिक शोषण होगा।
---
नहीं मिलेगा किसानों को फसलों का सही मूल्य
किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के जिला उपाध्यक्ष जगदीश सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से लाए गए विधेयक से मंडीकरण पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। मंडियों से बाहर बिकने वाली फसल पर कोई भी फीस नहीं लगेगी, जिससे मंडियों में लगने वाली मार्केट फीस रूरल डवलपमेंट फंड प्रभावित होगा और राज्य सरकारों को भी आमदन का भारी नुकसान होगा। केंद्र सरकार ने किसानों व आढतियों का पक्ष सुने बिना ये फरमान लागू किया है।
कारपोरेट घरानों के हवाले होगी किसानी
किसान बलजिद्र सिंह ने कहा कि आज किसान को देश का अन्नदाता कहा जाता है। लेकिन इन तीन विधेयक के आने से देश का अन्नदाता कारपेरेट घरानों के हवाले हो जाएगा। केंद्र सरकार विश्व व्यापार संस्था के दबाव में खेती मंडी तोड़कर कॉरर्पोरेट घरानों के हवाले कर रही है और बड़े फार्मों का कॉरर्पोरेट खेती माडल लाकर 85 प्रतिशत किसानों को खेती पेशे में से बाहर करने की तैयारी है। फ्री बिजली ली जा रही वापस
भारतीय किसान यूनियन से जुड़े सुखवीर सिंह ने कहा कि तीनों विधेयक व बिजली संशोधन बिल किसान विरोधी हैं। इसके तहत किसानों को मिलने वाली निशुल्क बिजली की सुविधा को वापस लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मंडीकरण को खत्म किया जा रहा है। पहले किसान मुश्किल के समय आढ़तियों से मदद ले लेते थे, लेकिन प्राइवेट कंपनियों के जरिए किसान व आढ़तियों के बीच का रिश्ता तोड़ा जा रहा है।