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अबोहर में एक सप्ताह में पशुओं के कारण दूसरी मौत

शहर की सड़कों पर घूम रहे बेसहारा पशु लोगों की जिंदगी के लिए खतरा बन चुके हैं पशुओं के कारण सप्ताह में दूसरी मौत हो चुकी है लेकिन प्रशासन की ओर से बेसहारा पशुओं की संभाल के लिए कोई कदम नहीं उठाए जा रहे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Jan 2021 10:47 PM (IST)Updated: Sun, 24 Jan 2021 10:47 PM (IST)
अबोहर में एक सप्ताह में पशुओं के कारण दूसरी मौत
अबोहर में एक सप्ताह में पशुओं के कारण दूसरी मौत

राज नरूला, अबोहर : शहर की सड़कों पर घूम रहे बेसहारा पशु लोगों की जिंदगी के लिए खतरा बन चुके हैं, पशुओं के कारण सप्ताह में दूसरी मौत हो चुकी है, लेकिन प्रशासन की ओर से बेसहारा पशुओं की संभाल के लिए कोई कदम नहीं उठाए जा रहे।

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नई आबादी गली नंबर पांच में रहने वाले 60 वर्षीय सुभाष सोनी सोमवार को नई अनाज मंडी से पुरानी फाजिल्का रोड पर भाटिया पैलेस के सामने बाइक पर आ रहे थे तो सामने से बेसहारा पशु ने बाइक को टक्कर मार दी जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए, जिन्हें इलाज के लिए श्री गंगानगर के अस्पताल में दाखिल करवाया गया था, जिनकी शनिवार रात इलाज के दौरान मौत हो गई। सुभाष सोनी की ज्वैलर्स व आढ़त बाजार नंबर 4 में आ़ढ़त की दुकान है और वह सोमवार को काम के सिलिसले में नई अनाज मंडी में गए थे व मंडी से वापस आ रहे थे कि सांड ने उन्हें टक्कर मार दी, जिससे उनके सिर पर गुर्दें पर गहरी चोट लगी थी। इससे पहले बुधवार को ही नई अनाज मंडी में सांड ने गोबिद नगरी निवासी 55 वर्षीय मजदूर अरूण कुमार को इस तरह उठाकर पटका था, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई थी। शहर की हर सड़क व गली में पशुओं की भरमार है, लेकिन निगम की ओर से करीब दो साल से पशुओं को पकड़ने के लिए कोई मुहिम नहीं चलाई गई।

1700 पशु रखे गोशाला में, सरकार नहीं देती सहायता : कलानी

गोशाला प्रबंधक कमेटी के सचिव राकेश कलानी ने बताया कि शहर में दो गोशालाएं है जिनमें 1700 के करीब पशु रखे जा रहे है। इनमें से केवल दुधारु गायों की संख्या मात्र 150 ही है। कलानी ने बताया कि गोशाला में पशुओं को संभालने का रोजाना का खर्च करीब 80 हजार रुपये है जो वह दानी सज्जनों के सहयोग से ही कर रहे है। सरकार की तरफ से गोशालाओं को कोई सहायता उपलबध नहीं करवाई जाती यहां तक कि पहले गौशालाओं का बिजली बिल माफ था जो अब लगने लगा है। उन्होंने कहा कि लावारिस पशुओं में अधिकतर संख्या सांड की है और ये सांड गोशाला की दीवारें तोड़ देते हैं, जिस कारण इन्हें संभाला मुश्किल है । सरकारी गोशाला में नहीं पशु छोड़ने का प्रबंध

फाजिल्का जिले में करीब 25 एकड़ में सरकार की ओर से गशाला बनाई गई है लेकिन जिला प्रशासन की ओर से पशुओं को पकड़ कर वहां छोड़ने का कोई प्रबंध नहीं किया गया, वहां केवल 250 के करीब ही बेसहारा पशु रखे गए हैं। प्रशासन केवल बैठक कर अपनी जिम्मेवारी पूरी कर लेता है।

--- राजस्थान सरकार देती है गोशाला को 27 रुपये प्रति पशु रोजाना

राकेश कलानी ने बताया कि राजस्थान में सरकार गोशालाओं को 27 रुपये प्रति दिन प्रति पशु के हिसाब से देती है। इसी तरह पंजाब सरकार को भी गोशालाओं को आर्थिक सहायता देनी चाहिए। इसके अलावा सरकार को गांवों से शहरों में पशु छोड़ने पर सख्ती से कदम उठाना चाहिए।

पिछले साल भी कई लोगों की पशुओं के कारण हुई थी मौत

-11 जून 2020 को आलमगढ़ से धर्मपुरा के बीच सड़क पशु की टक्कर से 37 वर्षीय राधेश्याम पुत्र सीता रामकी दर्दनाक मौत हो गई थी। जबकि उसकी पत्नी बुरी तरह से घायल हो गई। मृतक की चार महीने पहले ही शादी हुई थी ।

-13 दिसंबर 2020 को गांव गिद्दड़ावाली निवासी 27 वर्षीय राजिद्र कुमार पुत्र बनवारी लाल बाइक पर घर जा रहा था कि गांव दिवानखेड़ा लिक रोड पर बाइक से टक्कर हो गई, जिससे उसकी मौत हो गई थी। वह माता पिता का एकलौता चिराग था।

-12 दिसंबर को फाजिल्का में एक ट्रैक्टर ट्राली चालक की पशु के टकराने से भी मौत हो गई थी।

-नवंबर 2019 में अबोहर-मलोट मार्ग पर सेना की एंबुलेंस की पशुओं से टक्कर होने से तीन जवानों की मौत हो गई थी।


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