प्रभु कृपा से ही मनुष्य को मिलता है सत्संग : भाई नरेश
जीव-परमात्मा से जुड़कर अपने पितरों के मोक्ष की कामना करता है और जो जीव भगवान की शरण में जाते हैं
संवाद सहयोगी, फाजिल्का : जीव-परमात्मा से जुड़कर अपने पितरों के मोक्ष की कामना करता है और जो जीव भगवान की शरण में जाते हैं भगवान उनकी रक्षा करते हैं। संसार में सुविधाएं मिल सकती है सुख और शांति नहीं। जहां सुविधा है वहां सुख नहीं है। उक्त उदगार कथावाचक भाई नरेश ने श्री साधु आश्रम में पवित्र पितृ पक्ष में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा सुनाते हुए कहे। उन्होंने कहा कि यह ग्रंथ प्रभु की प्रेमा भक्ति का ग्रंथ है। जीव को भगवान से प्रेम करने का मार्ग यह कथा बताती है। कलियुग में यह कथा जीव के पापों को दूर करने के लिए यह परम औषधि है। यह कथा सब कथाओं का सार है। यह हरि नाम को पुष्ट करती है। इसका श्रवण करने से जीव के जन्म-जन्मांतरों के पाप कट जाते हैं, इसलिए जीव को भगवान का सत्संग, कीर्तन, भजन, स्मरण आदि करना चाहिए जिससे वह संसार में बंधता नहीं क्योंकि प्रभु भजन से उसे आनंद और शांति मिलती है। जीव को यह कथा उसके भजन में बल प्रदान करती है। संत की परिभाषा करते हुए भाई नरेश जी ने बताया कि संत महापुरूष चलते-फिरते प्रयाग राज तीर्थ हैं। जो जीव मन लगाकर प्रभु का सतसंग करते हैं, उनको भगवान की भक्ति मिलती है। सत्संग प्रभु की विशेष कृपा से मिलता है तथा संसार के कामों को छोड़कर जीव को नित्य सतसंग करना चाहिए। इस दौरान साधु आश्रम के प्रधान रोशन लाल ठक्कर, सेकेटरी अशोक मोंगा ने बताया कि यह कथा 14 सितंबर से 21 सितंबर तक रोजाना दोपहर बाद 3.30 से 6.30 बजे तक हुआ करेगी।