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एनजीटी की टीम ने फाजिल्का में चार जगहों से भरे पानी के सैंपल

पांच जिलों के सीवरेज के पानी से दूषित हो रहे फाजिल्का के भूजन और बंजर हो रही भूमि की जांच के लिए एनजीटी की टीम सोमवार को यहां पहुंची।

By JagranEdited By: Published: Tue, 07 Jan 2020 12:10 AM (IST)Updated: Tue, 07 Jan 2020 06:15 AM (IST)
एनजीटी की टीम ने फाजिल्का में चार जगहों से भरे पानी के सैंपल
एनजीटी की टीम ने फाजिल्का में चार जगहों से भरे पानी के सैंपल

संवाद सहयोगी, फाजिल्का : पांच जिलों के सीवरेज के पानी से दूषित हो रहे फाजिल्का के भूजन और बंजर हो रही भूमि की जांच के लिए एनजीटी की टीम सोमवार को यहां पहुंची। तीन सदस्य टीम में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व जज जसबीर सिंह, पूर्व चीफ सेक्रेटरी पंजाब एससी अग्रवाल व तकनीकि विशेषज्ञ बाबू राम शामिल थे। विभिन्न जिलों के प्रतिनिधि, ईओ व अन्य अधिकारी भी टीम के साथ मौजूद रहे। पर्यावरण प्रेमी संत बलबीर सिंह सीचेवाल भी उपस्थित थे।

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दोपहर करीब ढाई बजे टीम ने सबसे पहले गांव कोठा ठगनी से जांच की शुरुआत की गई। टीम गांव कब्बुलशाह, झंगड़ चौकी, घुड़म्मी व आसफवाला से होते हुए करनीखेड़ा सेमनाले पर रुकी। यहां चार जगहों पर पानी के सैंपल लिए गए। टीम ने विभिन्न गांवों में किसानों से बातचीत भी की। तकनीकि विशेषज्ञ बाबू राम ने कहा कि भले ही पहले भी पानी के सैंपल लिए गए, लेकिन उनकी टीम ने फिर से सैंपल लिए हैं, जिसे वे अपने स्तर पर चैक करवाएंगे। इसके बाद सारी रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को सौंपी जाएगी। सीवरेज, ड्रेनज व अन्य विभागों के अधिकारियों के साथ मंगलवार को एक बैठक एनजीटी की टीम करेगी। टीम के साथ विभिन्न जगहों पर अवलोकन करने के बाद संत सीचेवाल ने कहा कि नगर कौंसिल, इंडस्ट्री या गांवों का पानी ड्रेनों में डाला नहीं जा सकता। यह समस्या बहुत पहले की है और याचिका के बाद इस पर विचार हुआ है। लेकिन यह समय 100 प्रतिशत हल हो जाएगी। उन्होंने कहा कि अगर जहां से पानी आ रहा है, वहां ट्रीटमेंट प्लांट लगा दिए जाएं तो समस्या का खुद ब खुद ही हल हो जाएगा।

पांच जिलों का पानी कर रहा फाजिल्का के भूजल को प्रभावित

क्षेत्र में सेम की समस्या से निपटने के लिए बनाए गए सेमनालों व विभिन्न जिलों से बहकर आने वाली अस्पाल ड्रेन, मौजम, लंगियाना, चांदभान व 17 अन्य सेमनालों में मालवा के 5 जिलों के सीवरेज का पानी डाला जा रहा है। लेकिन यहां से आगे पाकिस्तान की तरफ जाने वाले गंदे पानी को पाकिस्तान द्वारा बांध बनाकर रोकने के चलते सेमनाले में जमा पानी धीरे धीरे धरती में समाकर पूरे फाजिल्का क्षेत्र के भूमिगत पानी को दूषित कर चुका है। सीवरेज का पानी इतना घातक है, जिससे क्षेत्र के लोग कैंसर, महिलाएं बांझपन, नवजात बच्चे मंदबुद्धि, लकवे आदि के शिकार होने लगे हैं।

विक्रम आहुजा ने सरहदी किसानों के साथ उठाया मुद्दा

पिछले कई सालों से पानी की समस्या के बावजूद लोगों ने इसके खिलाफ कोई आवाज नहीं उठाई। लेकिन प्रगतिशील किसान विक्रम आहूजा ने किसानों को इस ओर लामबंद किया। एनजीटी में भी इस मामले की पैरवी करते रहे। आखिरकार 25 जुलाई 2019 को एनजीटी में फाजिल्का को सीवरेज के पानी के चलते फैल रही बीमारियों के खिलाफ याचिका स्वीकार कर ली गई। जिसके बाद विभाग ने पानी को लेकर सैंपलिग करवाई और विभिन्न सेहत अधिकारियों द्वारा भी गांवों का दौरा किया गया। अब इस मुद्दे को अहम मानते हुए एनजीटी ने तीन सदस्य टीम का एक शिष्टमंडल फाजिल्का में भेजा है, जो इस मामले की पूरी रिपोर्ट बनाकर एनजीटी को सौंपेगा।

अस्पाल ड्रेन बना रही भूमि को बंजर

अस्ताल ड्रेन, जिसका निर्माण 1997 में पूर्व बादल सरकार के कार्यकाल में गिदड़बाहा, मलोट व आसपास के अन्य क्षेत्रों की सेम की समस्या समाप्त करने के लिए किया गया था। लेकिन अब वहां सेम की समस्या काफी हद तक हल हो चुकी है। ऐसे में उस सेमनाले का प्रयोग वर्तमान में फाजिल्का के साथ लगते चार जिलों श्री मुक्तसर साहिब, फरीदकोट, फिरोजपुर व फाजिल्का के ही विभिन्न नगरों का सीवरेज का पानी डाला जा रहा है। जिस कारण यह फाजिल्का की जमीनों को बंजर बना रहा है। सीवरेज का गंदा पानी जमीन में समाने से जहां जमीनें तो प्रभावित हुई ही हैं, साथ ही जमीनी पानी खराब होने से लोग बीमारियों का शिकार हुए हैं।


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