बेरोजगारी की ऐसी मार, MA के संग बीएड व डिप्लोमा होल्डर तक चपरासी बनने को तैयार
बेराेजगारी ने युवाओं के भविष्य को बुरी तरह प्रभावित किया है। पंजाब के फाजिल्का में चपरासी के 33 पदों के लिए 10 हजार से ज्यादा आवेदन आए हैं व इनमें एमए बीएड पास युवा भी हैं
फाजिल्का, जेएनन। बेराेजगारी ने युवाओं को त्रस्त कर रखा है। उच्च शिक्षा के बावजूद सही रोजगार पाना युवाओं केलिए बहुत बड़ी चुनौती बन गया है। हालात यह है कि उच्च शिक्षा प्राप्त युवा सफाई कर्मचारी और प्यून (चपरासी) की नौकरी के लिए भारी संख्या में आवेदन कर रहे हैं। पिछले दिनों हरियाणा में ग्रेड चार की श्रेणी की नाैकरी के लिए लाखों युवाओं ने आवेदन किए। इनमें उच्च व तकनीकी शिक्षा प्राप्त युवा भर शामिल थे। अब फाजिल्का जिला कोर्ट कांप्लेक्स में प्यून के 33 पद के लिए निकाली भर्ती के लिए 10 हजार से अधिक युवाओं ने आवेदन किया है।
इसके लिए शैक्षणिक योग्यता आठवीं पास रखी गई थी, लेकिन बेरोजगारी के इस आलम में एमए, बीएड और डिप्लोमा होल्डर्स चपरासी बनने के लिए बेकरार नजर आ रहे हैं। इसके लिए 5 मार्च तक आवेदन मांगे गए थे। इनके 18 मार्च से इंटरव्यू लिए जा रहे हैं। पहले दिन दो हजार, दूसरे दिन 1500 व तीसरे दिन 1800 के करीब युवाओं को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया।
इंटरव्यू की यह प्रक्रिया अभी और चलेगी। चपरासी के पदों की भर्ती के लिए पंजाबी बोलने और 4900 से 10600 रुपये का पे ग्रेड दिया जाएगा। 33 पदों में से 15 पदों पर सामान्य, तीन पर एससी, तीन पर बीसी और दो दिव्यांग वर्ग उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है।
पंजाब सरकार नौकरी देने का वादा नहीं कर रही पूरी : मनीश
बुधवार को कोर्ट परिसर में बीए, एमए बीएड करने वाले गांव टाहलीवाला के मनीश कुमार ने बताया कि पंजाब सरकार ने नौकरी देने का वायदा किया था, लेकिन बेरोजगारों को अभी तक नौकरियां नहीं मिली। इसके चलते उन्हें जहां भी कहीं नौकरी की सूचना मिलती है, वे उसके लिए आवेदन करते हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब में इस समय नौकरी के लिए हर युवा भटक रहा है, ऐसे में उनकी ओर से भी एक कोशिश की जा रहा है, कि शायद उन्हें यह नौकरी मिल जाए।
सोचा था चपरासी की नौकरी में ही किस्मत खुल जाए : मलकीत
गांव बेरीवाला के मलकीत सिंह ने कहा कि उसने बीसीए की हुई है। जब उसने इस पद के लिए आवेदन किया तो उन्हें पता नहीं था, कि इतने लोग 33 पदों के लिए आवेदन करेंगे। उसेआस है कि शायद उसकी चपरासी में किस्मत खुल जाए।
अपने से ज्यादा पढ़े से मिलकर टूटी उम्मीद : मुकेश
गांव टाहलीवाला के मुकेश कुमार ने बताया कि उसने इलेक्ट्राॅनिक्स का डिप्लोमा किया हुआ है। अभी तक कहीं अच्छी नौकरी नहीं मिली तो उसे अदालत में नौकरियां निकलने के बारे में पताचला। इस पर उसने यहां आवेदन किया, लेकिन यहां आकर उन्हें पता चला कि उनसे भी ज्यादा पढ़े लिखे युवा इंटव्यू देने के लिए पहुंचे हैं।
नौकरी के लिए बहुत ठोकरें खाई : मोहित शर्मा
गांव टाहलीवाला निवासी मोहित ने बताया कि बीए करने के बावजूद नौकरी के लिए ठोकरें खाने के लिए मजबूर हैं और निजी कंपनियों में कई जगह नौकरी के लिए इंटरव्यू देने के बावजूद उनको हर जगह 10 हजार से ज्यादा वाली नौकरी नहीं मिली। ऐसे में उसने चपरासी की नौकरी के लिए आवेदन किया है।