कहीं संयुक्त रूप में तो कहीं घरों के बाहर मनाई लोहड़ी
लोहड़ी मनाने का स्वरूप बदल गया है। बुधवार की रात घर घर के आगे लोहड़ी मनाई गई हालांकि कई गलियों में एक साथ गली वासियों ने लोहड़ी मनाकर एकता का संदेश दिया।
संवाद सहयोगी, अबोहर : लोहड़ी मनाने का स्वरूप बदल गया है। बुधवार की रात घर घर के आगे लोहड़ी मनाई गई, हालांकि कई गलियों में एक साथ गली वासियों ने लोहड़ी मनाकर एकता का संदेश दिया। गौरतलब है कि पहले लोग एक साथ मिलकर एक चौराहे या चौक पर एकत्रित होकर लोहड़ी मनाया करते थे व लोहड़ी मनाने का असली मकसद ही आपसी प्रेम व भाइचारा बढ़ाना था।
एकता कालोनी वेलफेयर सोसायटी की ओर से पार्क में लोहड़ी का व पर्व मनाया गया। इस अवसर पर बच्चों की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किया गया। इस अवसर पर भीषम धूडि़या, तेजिदर सिंह खालसा, विजय बांसल, भूमीबल शर्मा, बलराज सिंह, गुलशिदर सिंह जस्सल, सुनील शर्मा, अमित गिल्होत्रा, मुख्यत्यार सिंह परुथी, त्रिलोक परूथी मौजूद थे।
आज भी कायम है बुक भरवाने की रस्म
बेशक पुरानी परंपराएं खत्म होती जा रही है, लेकिन लोहड़ी व माघी के दिन बुक भरवाने की रस्म आज भी कायम है। लोग नव जन्मे लड़के व नवविवाहित जोड़ी के बुक भरवाते है। इस दौरान लोग अपने खास रिश्तेदारों व पड़ोसियों को आमंत्रित करते है व नव जन्मे लड़के व नवविवाहित जोड़ी के लोहड़ी की सामग्री से बुक भरवा कर उपस्थित लोगों को बांटते हैं। आज कल लोग नव जन्म कन्याओं के भी बुक भरवा कर इस बात का संदेश देते है कि लड़का लड़की में कोई अंतर नहीं है।