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दिव्यांग और बुजुर्गो के लिए स्टेशन पर रैंप नहीं, परेशानी

केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारें दिव्यांगों बुजुर्गों को प्रत्येक प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए लाखों दावे कर लें लेकिन आज भी कड़वा सच्च यही हैं कि दिव्यांग और बुजुर्गों लोगों को सभी सुविधाएं नहीं मिल पाती है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Feb 2019 01:06 AM (IST)Updated: Fri, 22 Feb 2019 01:06 AM (IST)
दिव्यांग और बुजुर्गो के लिए स्टेशन पर रैंप नहीं, परेशानी
दिव्यांग और बुजुर्गो के लिए स्टेशन पर रैंप नहीं, परेशानी

प्रेम दूमड़ा, खुई खेड़ा (फाजिल्का) : केंद्र और राज्य सरकार दिव्यांगों व बुजुर्गों को सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए काफी प्रयास कर रही है। आज भी उनको सुविधाएं नहीं मिल पाती है। खुईखेड़ा के रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म तक पहुंचने के लिए बनाई गई। सीढि़यों की वजह से दिव्यांग और बुजुर्ग रेलयात्रा करने से महरूम है। इसका कारण यह है कि प्लेटफार्म भूमि से लगभग 18 फीट की ऊंचाई पर है। यहां तक पहुंचने के लिए सीढ़ी के 35 स्टेप है। इसकी वजह से विकलांग, बीमार या बूढ़े-बच्चों और महिलाओं के लिए प्लेटफार्म तक पहुंचना काफी मुश्किल होता है। इसलिए इन लोगों ने रेलवे से प्लेटफार्म तक पहुंचने के लिए जहां टेपर रास्ते की मांग की है वहीं मौजूदा समय में वे बसों में महंगें किराये देकर सफर करने को मजबूर है।

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बतां दें खुई खेड़ा रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म तक पहुंचने के लिए सीढि़यां बनाई गई है। इसके 35 स्टेप है। आम और सेहतमंद लोगों के लिए तो सीढि़यां चढ़कर प्लेटफार्म तक पहुंचना ज्यादा मुश्किल नहीं होता है। दिव्यांगों और बुजुर्गों के लिए यह बहुत ही कठिन होता है। सीढि़यों के अलावा अन्य दूसरा कोई वैकल्पिक मार्ग भी नहीं है। इसलिए सरकार और प्रशासन खासतौर पर रेलवे के सामने यह सवाल खड़ा होता है कि दिव्यांग एवं बुजुर्ग लोग रेलगाड़ी पर कैसे चढ़े। ट्रेन सुविधा का लाभ कैसे उठाएं। खुईखेड़ा के हजारों लोगों की आबादी में कुछेक लोग दिव्यांग है। वहीं बुजुर्ग भी बहुत सारे है, जिन्हें अबोहर-फाजिल्का अधिकतर आना-जाना पड़ता है। लेकिन सीढि़यों पर चढ़ने की कठिनाई के बारे में सोचकर वे रेल की बजाय बसों की तरफ रुख करने को मजबूर हो जाते है। अगर ऐसे विकलांग लोगों ने लंबी दूरी के लिए रेलवे का ही सफर करना हो तो भी इन्हें अबोहर-फाजिल्का के रेलवे स्टेशन पर जाकर ही रेल पर चढ़ना पड़ता है। इसी बीच दिव्यांगों के अलावा कई लोग घुटनों के रोगों से ग्रस्त होने के कारण इस रेलवे स्टेशन पर जाने का हौसला नहीं कर पाते। खुईखेड़ा निवासी दिव्यांग सुरेंद्र कुमार का कहना है कि पोलियोग्रस्त होने के कारण वह चल फिर नहीं सकता। कहीं पर भी अकेले आने-जाने में असमर्थ है। सु¨रद्र व्हील चेयर के सहारे ही जीवन व्यतीत कर रहा है, सामान्य जगह पर तो व्हील चेयर से काम चल जाता है, लेकिन सीढि़यों पर व्हील चेयर नहीं चल सकती। सु¨रदर ने रेलवे से प्लेटफार्म तक पहुंचने के लिए टेपर रास्ते की मांग की है।

एक सड़क दुर्घटना में अपनी एक टांग गवा चुके दूसरे दिव्यांग लाल चंद नाथ का कहना है कि इस रेलवे स्टेशन पर जाने के लिए एक टाक पर इतनी सीढि़यों पर चढ़ पाना बहुत ही मुश्किल होता है। एकदफा वह गिरकर घायल हो चुके है, जिसकी वजह से अब वह स्टेशन आने से कतराते हैं।

बुजुर्ग शास्त्री और रोशन लाल कुकरेजा का कहना है कि इतनी सीढि़यों से तो अच्छा खासा आदमी भी थक जाता है। उन्होंने रेलवे के उच्चाधिकारियों से मांग की है कि इस स्टेशन पर पहुंचने के लिए टेपर रास्ते का निर्माण करवाया जाए। ताकि बुजुर्ग, दिव्यांग व मजबूर लोगों को प्लेटफार्म तक पहुंचने में असानी हो।

रेलवे बोर्ड को रैंप के लिए प्रस्ताव भेजा : आइओडब्ल्यू कृष्ण लाल

रेलवे के आईओडब्ल्यू कृष्ण कुमार ने बताया कि खुई खेड़ा रेलवे स्टेशन में रैंप के निर्माण की आवश्यकता है, ताकि बुजुर्गों और दिव्यांगों को सुविधा हो सके। इसके लिए उन्होंने रेलवे बोर्ड को रैंप के लिए प्रस्ताव भेज दिया है।


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