कारगिल युद्ध में तोप चलाने से लोकप्रिय था बंता ¨सह
जासं, फाजिल्का : एसबीआइ बैंक की ऊपरी मंजिल में बने बाथरूम में अचानक बंदूक गिरने से निकली गोली से मरन
जासं, फाजिल्का : एसबीआइ बैंक की ऊपरी मंजिल में बने बाथरूम में अचानक बंदूक गिरने से निकली गोली से मरने वाले बंता ¨सह 1999 में कारगिल युद्ध में तोप चलाने से लोकप्रिय थे। इसी के चलते उन्हें अपने निवास स्थान सिविल लाइन फेज-2 फाजिल्का में जितना मान-सम्मान लोगों से मिला, उससे कहीं ज्यादा उन्हें होटल बाजार फाजिल्का में मान-सम्मान मिला। एक दिन पहले ही बंता ¨सह ने छोटी बेटी की सगाई की थी, जिसकी अब शादी की तैयारियों में उनका आगे का समय व्यतीत होने वाला था। इससे पहले ही हादसा हो गया।
फाजिल्का में कई लोगों के साथ कारगिल युद्ध के किस्सों का जिक्र कर चुके बंता ¨सह की मौत पर बाजार के शोक की लहर है। कपड़े की दुकान करने वाले राजकुमार ने बताया कि कई बार बैंक में काम करने जाते तो उनके साथ मिलकर अच्छा लगता। एकाध बार बात-बात में उनके बारे में जानने का मौका मिला था। कारगिल युद्ध के दौरान सेना में होने पर उन्हें बटालियन की ओर से तोप से गोले दागने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। हालांकि कारगिल युद्ध भारतीय सेना के लिए बहुत ही मुश्किल था, जिसमें कई भारतीय जवानों ने शहादत भी दी थी। उसी लड़ाई में बंता ¨सह ने तोपों से गोले दागकर दुश्मनों को धूल चटाई थी। बंटा ¨सह के इकलौते बेटे याद¨वद्र ¨सह और दोस्त बंटी शर्मा व नरेश कुमार से पता चला कि बंता ¨सह आर्मी से रिटायर होने के बाद उसी के आधार पर एसबीआइ बैंक में गार्ड की नौकरी पर तैनात थे।
पिता के शव को देख बार-बार बिगड़ती रही बेटे की हालत
याद¨वद्र ¨सह को जब पिता की मौत की खबर मिली तो दोस्तों के साथ घर से भागा चला आया। फिर जब पिता का खून से सना और चिछड़े उड़ा हुआ चेहरा देखा तो उसकी हालत बिगड़ गई। कई बार उसे बैंक के अंदर व बाहर उलटियां हुई। साथ आए दोस्त उसे संभाल रहे थे। याद¨वद्र की एक बहन शादीशुदा है, जबकि एक उससे छोटी है। याद¨वद्र खुद चंडीगढ़ में एक कॉल सेंटर में डेढ़ वर्ष से नौकरी कर रहा है। मां सुरजीत कौर हाउस वाइफ है। उनका भी रो-रोकर बुरा हाल रहा।
बैंक और अस्पताल में उमड़ी रिश्तेदारों और लोगों की भीड़
बंता ¨सह ने जिस तरह से कारगिल युद्ध में तोपें चलाकर और रिटायर होने के बाद बैंक में गार्ड की नौकरी करते हुए लोगों में प्यार बनाया था, उसी के चलते बाजार और निवास स्थान पर रहने वाले लोगों में भी दु:ख की लहर छाई है। बैंक में हादसा होने की खबर मिलते ही पहले लोगों की भीड़ अस्पताल के बाहर जुट गई फिर जब बंता ¨सह का शव पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल ले जाने लगे तो लोग जैसे-तैसे अपने वाहनों या पैदल सिविल अस्पताल के लिए रवाना हो गए।