योग अपना आर्ट आफ लिविग के सदस्य कोरोना को रखे दूर
फाजिल्का में पिछले लंबे समय से लोगों को योग क्रियाओं से जोड़कर लोगों को ठीक कर रहे।
मोहित गिल्होत्रा, फाजिल्का : फाजिल्का में पिछले लंबे समय से लोगों को योग क्रियाओं से जोड़कर उन्हें तंदुरुस्त रखने के लिए आर्ट आफ लिविग द्वारा विभिन्न तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। वैसे तो आर्ट आफ लिविग द्वारा कोरोना संकट से पहले केवल रविवार के रविवार ही योग करवाया जाता था और बाकी दिन घर पर ही योग किया जाता था। लेकिन कोरोना महामारी के चलते आनलाइन माध्यम से हर रोज यह क्रियाएं होने लगी। जिसका असर साफ तौर पर योगा करवाने वालों और योगा करने वालों के संक्रमित न होने पर पड़ा। इनमें आर्ट आफ लिविग के साथ जुड़े लगभग 27 अध्यापक कोरोना संक्रमित नहीं हुए। जबकि उनके साथ योग क्रियाएं करने वाले ज्यादातर सदस्य भी कोरोना संक्रमित नहीं हुए।
आर्ट आफ लिविग से जुड़े एडवोकेट राजेश कसरीजा ने बताया कि वैसे तो फाजिल्का शहर में 12 सदस्य एक हजार के करीब लोगों को योग क्रियाएं करवा रहे हैं। लेकिन इनमें से कुछ सदस्य बाहर शिफ्ट हो जाने के चलते मौजूदा समय में उन्हें मिलाकर कुछ आठ सदस्य लोगों को योग व मेडिटेशन क्रियाएं करवा रहे हैं। इनमें गौतम गिल्होत्रा, मनीषी गिल्होत्रा, रमन वर्मा, सावंत ठठई, चेतन सेतिया, पूर्णिमा सेतिया व राज कश्यप शामिल हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी के चलते भले ही वह घरों में कैद हो गए, लेकिन नियमित किए जाने वाले योग को उन्होंने बिल्कुल भी नहीं छोड़ा और कुछ ही समय बाद सभी आठ सदस्यों ने अलग-अलग पैनल में जूम एप के जरिए योग क्रियाओं में भाग लेने वाले सदस्यों को साथ जोड़ा और यह क्रियाएं तब से रोज की जाने लगी। जिसका असर साफ तौर पर योग क्रियाएं व मेडिटेशन करने वालों के संक्रमित न होने पर देखने को मिला। जबकि इनमें दो से तीन सदस्य ऐसे रहे, जोकि अन्य रिश्तेदारों के संक्रमित होने के चलते एकांतवास तो हुए, लेकिन उन्होंने योग को नहीं छोड़ा, जिसके चलते वह कोरोना संक्रमित नहीं हुए। योग को दिया गया हैपीनेस प्रोग्राम का नाम
एडवोकेट कसरीजा ने बताया कि वैसे तो फाजिल्का शहर से लगभग एक हजार सदस्य जुड़े हैं, लेकिन अगर जिले की बात करें तो लगभग तीन हजार से अधिक सदस्य उनके साथ जुड़े हुए हैं, जिन्हें हैपीनेस प्रोग्राम का नाम दिया गया है। उन्होंने बताया कि कोरोना से पहले बीकानेरी रोड के निकट हैपीनेस सेंटर में रविवार को दो घंटे की योग क्रियाएं करवाई जाती थी। जबकि अब कोरोना महामारी के चलते आनलाइन माध्यम से सवा घंटे में योग व मेडिटेशन क्रियाएं करवाई जाती हैं, जिसमें सभी सदस्य बढ़ चढ़कर और उत्साह के साथ भाग लेते हैं। योग रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में असरदार
एडवोकेट कसरीजा ने कहा कि योग रखे निरोग के मंत्र को अब पूरी दुनिया समझ चुकी है। कोरोना महामारी के समय घरों में ईलाज लेने वाले और खासकर वह लोग जो कभी संक्रमित नहीं हुए वह लगातार योग के साथ जुड़े रहे। ये कोई दवा या इलाज नहीं हैं, बल्कि इनका नियमित अभ्यास रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने में असरदार होता है।