अमृतवाणी पाठ का सम्मान हर श्रद्धालु की जिम्मेदारी : भालोठिया
अबोहर : अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक संस्था श्री राम शरणम जन-जन में राम नाम की पावन ज्योति प्रज्ज्वलित करने को निष्ठापूर्वक प्रयासरत है। संस्था की ओर से स्वामी सत्यानंद सरस्वती महाराज की ओर से स्थापित नियमों व आदर्शो पर अनुशासनपूर्वक चलने का कृतसंकल्प है। स्थानीय मुख्य सेवक मदनलाल भालोठिया ने बताया कि श्री रामशरणम् समाज में सेवा, सिमरण व सत्संग के माध्यम से राम नाम के प्रचार व प्रसार का काम कर रही है।
जागरण संवाददाता, अबोहर : अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक संस्था श्री राम शरणम जन-जन में राम नाम की पावन ज्योति प्रज्ज्वलित करने को निष्ठापूर्वक प्रयासरत है। संस्था की ओर से स्वामी सत्यानंद सरस्वती महाराज की ओर से स्थापित नियमों व आदर्शो पर अनुशासनपूर्वक चलने का कृतसंकल्प है। स्थानीय मुख्य सेवक मदनलाल भालोठिया ने बताया कि श्री रामशरणम् समाज में सेवा, सिमरण व सत्संग के माध्यम से राम नाम के प्रचार व प्रसार का काम कर रही है। संस्था ने गुरुजनों के संदेशों को भरपूर सम्मान देने के लिए कुछ नियम बनाए हैं, जिनमें पवित्र व पावन पाठ अमृतवाणी को सभी के सुख और दुख में सामूहिक रूप से किया जाए। इस आयोजन के लिए परिवार का गुरु महाराज से दीक्षित होना आवश्यक है। पाठ के समय कोई दूसरा किसी तरह का कार्यक्रम नहीं होना चाहिए। किसी भी तरह का शुल्क, चंदा या चढ़ावा नहीं होना चाहिए। समय की पाबंदी व पूरा अनुशासन होना चाहिए, जो भी श्रद्धालु उपरोक्त नियम पूरा नहीं कर पाते उनके यहां पाठ करना हमारी असमर्थता है। भालोठिया ने कहा कि न तो श्रद्धालु नियमों का उल्लंघन करें और न ही आयोजकों को मजबूर करें। नियम मानने वालों के यहां भाव चाव से नि:शुल्क अमृतवाणी का पाठ किया जाता है। साउंड और ढोलक वाला ही निर्धारित खर्चा लेता है। पाठ करवाने वाले 2-3 दिन पहले संपर्क कर लें तो सुविधा रहती है। जो नियम तोड़ते हैं और पैसे लेकर अमृतवाणी पाठ करते हैं उनसे आश्रम का कोई संबंध नहीं है। अमृतवाणी पाठ सुख के अवसर पर भी जरूर करवाएं। केवल मृत्यु के समय अमृतवाणी को मृत्यु वाणी न बनाएं। भालोठिया ने शहरवासियों से आग्रह किया है कि पाठ अमृतवाणी का आयोजन शांति, अनुशासन, नियम व बडे अच्छे ढग से हो सभी अपना सुझाव जरूर दें।