जाखड़ को घर में ही शिकस्त देने का सपना पूरा नहीं कर पाए सुखबीर
कांग्रेस प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ के चैलेंज पर भले ही अकाली दल प्रधान सुखबीर बादल उनके पैतृक गांव आकर बड़ी रैली कर गए हों, लेकिन जिला परिषद और ब्लॉक समिति चुनावों में सुखबीर के उम्मीदवारों को यहां पराजय का सामना करना पड़ा है।
दीपक पोहिया, अबोहर: कांग्रेस प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ के चैलेंज पर भले ही अकाली दल प्रधान सुखबीर बादल उनके पैतृक गांव आकर बड़ी रैली कर गए हों, लेकिन जिला परिषद और ब्लॉक समिति चुनावों में सुखबीर के उम्मीदवारों को यहां पराजय का सामना करना पड़ा है। बेअदबी कांड में चौतरफा घिरने से चुनावों से ठीक पहले जाखड़ के गांव पंजकोसी में सुखबीर ने एक नुक्कड़ सभा करते हुए कहा था कि जाखड़ कहते थे कि बादलों को लोग गांवों में नहीं घुसने देंगे। यहां देख लें, उनका अपना गांव ही अकाली दल के साथ खड़ा है।
सिर्फ इतना ही नहीं बादल ने अपने सियासी जीवन मे पहली बार जाखड़ के गांव में घर घर जाकर वोटरों को ये कहा था कि इस बार के जिला परिषद और ब्लॉक समिति चुनावों में कांग्रेस को हराकर जाखड़ का अहंकार चूर चूर करना है। वे पंजकोसी के सरपंच संजीव पूनिया के घर ही करीब एक घंटे रुके थे। यहां एक अन्य समर्थक के घर भी जाखड़ के खिलाफ रणनीति बनाई थी। इसके अलावा अपने जिला परिषद उम्मीदवार लाउ जाखड़ के घर तमाम अकाली नेताओं से बन्द कमरे में करीब 30 मिनट मी¨टग कर जाखड़ को इन चुनावों में उनके घर मे ही घेरने की योजना बनाई थी, लेकिन चुनावी नतीजे उनकी आशा के बिल्कुल विपरीत रहे हैं।
जाखड़ के गांव में भाजपा का सरपंच
सुनील जाखड़ के गांव में सरपंची पर भाजपा का कब्जा है। अब कांग्रेसी तंज कसा रहे हैं कि क्या अकाली दल की रैली में जो भीड़ हुई थी वो बाहर से बुलाई गई थी। जबकि अकाली नेताओं का कहना है कि लोग राज्य सरकार के साथ जाना चाहते हैं इसलिए कांग्रेसी उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। अहम बात ये ये की यहाँ चुनाव शांतिपूर्ण हुआ ऐसे में अकाली दल के पास और कोई आरोप लगाने का भी बहाना नहीं है।
अकाली सर्किल प्रधान को भाजपा के चुनाव चिन्ह पर लड़ाया
सुखबीर बादल के लिए जाखड़ को उनके गांव में ही शिकस्त देने की तमन्ना का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने यहां अपने सर्कल प्रधान लाउ जाखड़ को भाजपा के चुनाव चिन्ह पर जिला परिषद का चुनाव लड़ा दिया। यहां हमेशा भाजपा और कांग्रेस में मुकाबला होता रहा है लेकिन इन चुनावों में जाखड़ की पार्टी को हराने के लिए दोनों पार्टियों ने खास समझौता तक किया। गौर हो कि लाऊ जाखड करीब 5800 वोटों जिला परिषद का चुनाव हार गए हैं।