सरकारी स्कूल के बच्चों को पांच साल से फ्री ट्यूशन दे रहीं चरणजीत कौर
अबोहर : गरीब व सरकारी स्कूलों के बच्चों को शाम के वक्त घर में फ्री पढ़ाने को ही चरणजीत कौर ने वक्त बिताने का जरिया बना लिया है।
राज नरूला, अबोहर : गरीब व सरकारी स्कूलों के बच्चों को शाम के वक्त घर में फ्री पढ़ाने को ही चरणजीत कौर ने वक्त बिताने का जरिया बना लिया है। उनका कहना है कि इससे जहां उनको वक्त का पता ही नहीं चलता, वहीं उनके मन को एक शांति व सकून मिलता है। इतना ही नहीं वह 25 बच्चों को ट्यूशन दे रही हैं, पढ़ाने के साथ-साथ उनको अच्छे संस्कार भी दे रही हैं।
पुरानी सूरज नगरी निवासी चरणजीत कौर घरेलू महिला हैं। उन्होंने पति मलकीत ¨सह सिद्धू पावरकॉम में एक्सईएन की प्रेरणा से पांच साल पहले बच्चों को पढ़ाने की शुरुआत की। अपना समय किटी पार्टी या महिलाओं से बातें करने में व्यर्थ करने की बजाय गरीब व सरकारी स्कूलों के बच्चों को पढ़ाने में बिताना ही अच्छा समझा। उनके दो बेटे हैं, जो विदेश में सेटल हैं और वह घर पर अकेली होती हैं तो उनको समय बिताना ही मुश्किल हो जाता, क्योंकि पति कार्यालय चले जाते तो उनके पति ने बच्चों को घर पर पढ़ाने की प्रेरणा दी। उन्होंने शुरुआत में पड़ोस के ही बच्चों को पढ़ाने के लिए घर पर बुला लिया। इसके बाद उन्होंने घर के पास ही स्थित सरकारी प्राइमरी स्कूल सूरज नगरी के बच्चों को पहली कक्षा से पढ़ाना शुरू कर दिया। आज वही पांचवीं कक्षा में पहुंच चुके हैं व उनसे निरंतर पढ़ रहे हैं। चरणजीत ने बताया कि स्कूल से बच्चे सीधे उनके घर पर अपना बैग रख जाते हैं व उसके बाद वे खाना खाकर उनके पास पढ़ने के लिए पहुंच जाते हैं, रोजाना दो घंटे पढ़ते हैं। चरणजीत कौर ग्रेजुएट हैं व आधा घंटा बच्चों में अच्छी आदतें पैदा करने की सीख देती हैं। उनका कहना है कि इन बच्चों के पेरेंट्स मेहनत-मजदूरी करते हैं। बच्चों को पढ़ाने के लिए बाकायदा ब्लैकबोर्ड, चॉक व अन्य सामग्री का प्रबंध कर रखा है। इतना ही नहीं वह बच्चों को कापियां, पैन व अन्य जरूरत का सामान भी खुद ही उपलब्ध करवा देती हैं। सरकारी प्राइमरी स्कूल सूरज नगरी की अध्यापिका बल¨वदर कौर ने बताया कि चरणजीत कौर खुद स्कूल आकर उनसे बच्चों के सिलेबस के बारे में पूछताछ करती हैं व उसके हिसाब से ही बच्चों को पढ़ाती हैं। वह समय-समय पर बच्चों की प्रोग्रेस बारे भी पता करती रहती हैं।
ससुर की याद में हर वर्ष देती हैं स्कॉलरशिप, खेल, बालसभा भी होती है उनके घर में
चरणजीत कौर ने बताया कि उन्होंने इन बच्चों के खेलने के लिए सामान भी घर पर ही मंगवा रखा है। बच्चे कुछ समय कैरम बोर्ड, क्रिकेट, रस्सा कूदना इत्यादि खेलते हैं ताकि बच्चों का मनोरंजन भी हो। उन्होंने बताया कि उनके पास रुटीन में 20 बच्चे पढ़ाने के लिए आते हैं व सभी बच्चे खुशी खुशी पढ़ने के लिए पहुंचते हैं। स्कूल में चाहे छुट्टी हो लेकिन बच्चे उनके पास छुट्टी नहीं करते। उन्होंने बताया कि स्कूलों की तरह सप्ताह में वह एक बार बाल सभा भी करते हैं ताकि बच्चे प्रत्येक फील्ड में आगे आ सके। उनके ससुर स्व. राम ¨सह भी सरकारी अध्यापक थे। उन्होंने उनकी स्मृति में दो अलग अलग स्कूलों में स्कालरशिप भी शुरू कर रखी है। उनका मानना है कि शिक्षा के लिए किया गया दान या बच्चों की सहायता ही सबसे बड़ा दान है। उन्होंने कहा कि जो भी महिलाएं पढ़ी लिखी हैं व संपन्न परिवार से है उन्हें गरीब व जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाने में मदद करनी चाहिए।