अबोहर में व्यवसायिक प्लॉटों की नीलामी में घोटाले की जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपी
अबोहर : आठ वर्ष पूर्व नगर परिषद अबोहर की ओर से नई सड़क के पास व्यवसायिक प्लॉटों की नीलामी में कथित घोटाले की जांच रिपोर्ट सेवानिवृत्त वरिष्ठ आइएएस अधिकारी डॉ. आरसी नैय्यर ने सरकार को सौंप दी है। इस बहुचर्चित प्रकरण का मुद्दा तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष व वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, सांसद सुनील जाखड़ ने प्रमुखता से उठाया था। यह घोटाला पूर्व भाजपा विधायक डॉ. रामकुमार गोयल के पुत्र शिवराज गोयल के परिषद प्रधान के कार्यकाल में सामने आया था।
जागरण संवाददाता, अबोहर : आठ वर्ष पूर्व नगर परिषद अबोहर की ओर से नई सड़क के पास व्यवसायिक प्लॉटों की नीलामी में कथित घोटाले की जांच रिपोर्ट सेवानिवृत्त वरिष्ठ आइएएस अधिकारी डॉ. आरसी नैय्यर ने सरकार को सौंप दी है। इस बहुचर्चित प्रकरण का मुद्दा तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष व वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, सांसद सुनील जाखड़ ने प्रमुखता से उठाया था। यह घोटाला पूर्व भाजपा विधायक डॉ. रामकुमार गोयल के पुत्र शिवराज गोयल के परिषद प्रधान के कार्यकाल में सामने आया था।
सेवानिवृत्त नगर परिषद कर्मचारी संगठन की शिकायत में पंजाब सरकार ने जांच प्रारंभिक रूप से विजिलेंस ब्यूरो द्वारा करवाई थी। ब्यूरो ने क्लर्क जसपाल ¨सह व तत्कालीन अध्यक्ष शिवराज गोयल के विरुद्ध अपराधिक मामले दर्ज करवाए थे। इन दोनों को अदालत से जमानत मिल गई थी। ब्यूरो ने अपनी जांच में नगर परिषद के पूर्व कार्यकारी अधिकारियों के विरुद्ध कोई टिप्पणी नहीं की थी। इनके विरुद्ध फरवरी माह में पंजाब सरकार सेवा नियमों के तहत जांच का काम डॉ. आरसी नैय्यर को सौंपा गया। जांच के दौरान सभी पूर्व कार्यकारी अधिकारियों ने स्वयं को निर्दोष बताया।
नैय्यर ने 5 पृष्ठों की जांच रिपोर्ट में कहा है कि प्लाटों की नीलामी की शर्ते षड्यंत्र पूर्वक बाद में बदल डाली गई, जिससे परिषद को भारी आर्थिक हानि का सामना करना पड़ा। शर्तो में मूलरूप से लिखा गया था कि सफल बोलीदाता शेष राशि पर 18 प्रतिशत ब्याज अदा करेंगे और 10 प्रतिशत अतिरिक्त राशि कोने वाले प्लाट के लिए वसूली की जाएगी। यदि कोई बोलीदाता बाद में किसी अन्य को प्लाट बेचेगा तो 3 प्रतिशत हस्तांतरण शुल्क वसूल किया जाएगा। लेकिन बाद में इन शर्तों में तब्दीली कर दी गई। गवाही के दौरान सेवानिवृत्त क्लर्क रविन्द्र ¨सह ने इस बात की पुष्टि की कि 20 अगस्त 2010 को हुई नीलामी के सफल बोलीदाताओं से पुरानी शर्तों के अनुसार वसूली की गई। जांच के दौरान यह बात सामने आई कि शर्तों में फेरबदल के जो दस्तावेज तैयार किए गए उस पर प्रधान शिवराज गोयल व तत्कालीन कार्यकारी अधिकारी जगसीर ¨सह के हस्ताक्षर थे। अपनी ड्यूटी में लापरवाही और कोताही बरतने के अलावा नगर परिषद को वित्तीय हानि पहुंचाने के लिए पूर्व कार्यकारी अधिकारियों जगसीर ¨सह, भूषण ¨सह राणा और भूषण अग्रवाल को दोषी ठहराया गया है।
यह बात सामने आई कि विजिलेंस ब्यूरो ने जांच के दौरान शिवराज गोयल के हस्ताक्षर नमूने की जांच सरकारी परीक्षणशाला से करवाई थी और यह सही पाए गए थे। पंजाब म्यूनिसिपल एक्ट के तहत अब तीनों पूर्व अधिकारियों के खिलाफ विभागीय एक्शन लिए जाने की संभावना है।