1965 की जंग के दौरान पाकिस्तान में जेल काटने वाले सूबेदार रत्न सिंह का निधन
1965 में भारत-पाकिस्तान जंग में योगदान देने वाले बस्सी पठाना के गांव सैंपला निवासी रत्न सिंह का निधन हो गया।
धरमिदर सिंह, फतेहगढ़ साहिब
1965 में भारत-पाकिस्तान जंग में योगदान देने वाले बस्सी पठाना के गांव सैंपला निवासी रत्न सिंह का निधन हो गया। गांव में सरकारी सम्मान के बाद उन्हें अंतिम विदाई दी गई। जंग के दौरान जब पाकिस्तान में भारतीय सैनिकों को बंदी बना लिया गया था तो उनमें रत्न सिंह भी शामिल थे। लंबा समय वह पाकिस्तान की जेल में रहे। इस दौरान भारतीय सेना के पास उनका कोई सुराग नहीं था तो सेना ने परिवार वालों को रत्न सिंह की मौत का पत्र भेज दिया था। जिसके चलते उस समय परिवार ने अंतिम रस्में करते हुए भोग भी डाल दिया था। लेकिन कुछ समय बाद दोनों देशों के बीच संधि के बाद जब एक-दूसरे के सैनिकों को छोड़ा गया तो पाकिस्तान से रत्न सिंह जिदा लौटे थे।
आज उनके निधन पर पुलिस की एक टुकड़ी ने उन्हें गार्ड आफ आनर दिया। सिविल व पुलिस प्रशासन के अधिकारियों ने सरकारी सम्मान से अंतिम विदाई दी। एडीसी जसप्रीत सिंह व विधायक गुरप्रीत सिंह जीपी भी सूबेदार को श्रद्धांजलि देने पहुंचे। 4 फरवरी 1945 को जन्मे रत्न सिंह वर्ष 1963 में सेना में भर्ती हुए थे। 28 साल की सर्विस के बाद 1991 में वे सेवानिवृत हुए थे। उनके बेटे बलवीर सिंह भी भारतीय सेना में अपनी सेवाएं देने के उपरांत सेवानिवृति पर हैं। परिवार ने प्रशासन से मांग की कि रत्न सिंह की याद में गांव में यादगारी गेट बनाया जाए और स्कूल का नाम उनके नाम पर रखा जाए। इस दौरान विधायक जीपी ने पांच लाख रुपये ग्रांट देने का वादा करते हुए कहा कि पंचायत से विचार विमर्श करके परिवार जो भी यादगार बनाना चाहता है, बना सकता है।