वाह रे सरकार अध्यापकों को ही दे दिया दर्जा चार
प्रदीप शाही, फतेहगढ़ साहिब : बच्चों की बुनियादी नींव मजबूत करने वाले एलिमेंटरी स्कूलों के अध्यापक सरकार की शिक्षा विरोधी नीतियों के कारण दर्जा चार मुलाजिमों वाले सभी काम करने के लिए मजबूर हैं।
प्रदीप शाही, फतेहगढ़ साहिब : बच्चों की बुनियादी नींव मजबूत करने वाले एलिमेंटरी स्कूलों के अध्यापक सरकार की शिक्षा विरोधी नीतियों के कारण दर्जा चार मुलाजिमों वाले सभी काम करने के लिए मजबूर हैं। इसका मुख्य कारण प्रदेश भर के एलिमेंटरी स्कूलों में सफाई सेवक, चौकीदारों के पदों का न होना है। प्रात:काल स्कूल खुलने के साथ ही जहां अध्यापक झाड़ू उठा कर कमरों, आंगन की सफाई में जुट जाते हैं। वहीं छोटे बच्चे टाट बिछाने और डेस्कों की सफाई करने लग जाते हैं। दैनिक जागरण की तरफ से एलिमेंटरी स्कूलों के किए सर्वे के दौरान देखा कि घर से तैयार होकर स्कूल जाने वाले अध्यापकों के हाथों में झाड़ू पकड़े हुए थे। वह स्कूल कैंपस की सफाई कर रहे थे। अध्यापकों ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि स्कूलों में सफाई सेवक और चौकीदार न होने के कारण उनको स्कूलों के कमरों, आंगन, शौचालय, पानी वाली टंकियों की सफाई करनी पड़ रही है। इतना ही नहीं स्कूल कैंपस में लगे वृक्षों की टहनियों की कांट छांट भी करनी पड़ती है। जिन पंचायतों के पास फंड नहीं उन गांवों के स्कूलों का बिजली का बिल भी स्कूल मुखियों को जेब में से भरना पड़ता है।
गेहूं की सफाई, सब्जियों की ढुलाई भी कर रहे शिक्षक
कहानी यहीं खत्म नहीं होती है मिड-डे-मील के लिए गेहूं की सफाई, गेहूं को पिसवाना, खाना बनाने के लिए सब्जी भी शिक्षकों को लानी पड़ती है। स्कूल मुखियों को गांवों का नोडल अफसर भी लगाया हुआ है। जिसके तहत वजीफा प्राप्त करने वाले बच्चों की जांच करके विभाग को रिपोर्ट भेजनी पड़ती है कि वजीफा लेने वाला बच्चा योग्य है या नहीं।
शौचालयों की रिपोर्ट से लेकर वोटिंग का थोपा कार्य
गांवों में सरकार की तरफ से बनाए जा रहे शौचालयों की रिपोर्ट तैयार करने का जिम्मा भी शिक्षकों पर है। स्कूल प्रमुख को गांवों का बीएलओ (ब्लाक लेवल अफसर) भी नियुक्त किया हुआ है। वह वोटिंग का कार्य संभालते हैं या फिर मर चुके व्यक्तियों की वोटों को काटने के अलावा गांव में जा-जाकर सर्वे भी करना पड़ता है।
चौकीदार न होने से सताता है चोरी का डर
शिक्षकों ने कहा कि स्कूलों में चौकीदार न होने के कारण उनको इस बात की ¨चता हर समय सताती रहती है कि स्कूल में रात समय कोई सामान चोरी न हो जाए या फिर मिड-डे-मील के राशन में कोई शरारती तत्व गलत चीज न मिक्स कर दे क्योंकि बहुत से स्कूलों में से सामान और राशन चोरी होने की कई वारदातें घट चुकी है। इन कामों से फुर्सत न मिलने के कारण बच्चों की पढ़ाई की तरफ •यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
बिजली बिल को छोड़ सभी काम कर रहे टीचर
शिक्षा अफसर एलिमेंटरी मंजीत कौर ने स्वीकार किया कि राज्य भर के सरकारी स्कूलों में दर्जा चार मुलाजिम के पद ही नहीं हैं। कई स्कूलों में शिक्षक अपनी जेब से पैसा खर्च कर उक्त काम करवा लेते हैं। सरकार की तरफ से स्कूलों के बिजली के बिलों के लिए 15 लाख रुपए रिलीज किए हैं। ऐसे में बिजली के बिल भरने में किसी तरह की कोई समस्या नहीं है।