एनजीटी के आदेशों को दिखा रहे ठेंगा, पराली को आग लगा हवा में घोल रहे जहर
फतेहगढ़ साहिब नेशनल ग्रीन ट्रब्यूनल (एनटीजी) और सरकार ने पराली को आग नहीं लगाने के आदेशों के बावजूद किसानों द्वारा आग लगाने का सिलसिला शुरू हो गया है। यह कहना भी गलत न होगा कि किसानों द्वारा अपने फायदे के लिए हवा में जहर घोला जा रहा है।
सुखवीर सुख, फतेहगढ़ साहिब
नेशनल ग्रीन ट्रब्यूनल (एनटीजी) और सरकार ने पराली को आग नहीं लगाने के आदेशों के बावजूद किसानों द्वारा आग लगाने का सिलसिला शुरू हो गया है। यह कहना भी गलत न होगा कि किसानों द्वारा अपने फायदे के लिए हवा में जहर घोला जा रहा है। जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। भले ही जिला प्रशासन व कृषि विभाग किसानों को आग लगाने के नुकसान के बारे में लगातार जागरूक कर रहा है, बावजूद इसके किसान यह आदेश मानने को तैयार नहीं हैं। जिस कारण पराली को आग लगाने का सिलसिला शुरू हो गया है। प्रशासन की सख्ती के बावजूद किसान धड़ल्ले से आग लगा रहे हैं। प्रशासन ने अब तक पराली को आग लगाने के 25 केस पकड़े हैं, इनमें से 16 को जुर्माना भी किया जा चुका है। फिर भी किसान आग लगाने से पीछे नहीं हट रहे। किसान सुरिदर सिंह ने कहा कि अनेकों फैक्टरियों से दिन रात धुआं निकलता रहता है। त्योहारों के दौरान यह आमसान तक चढ़ जाता है। सरकार को वह नहीं दिखता। अगर किसान पराली को आग लगाएं तो प्रदूषण फैलने लग जाता है। सरकार द्वारा पराली को जमीन में मिलाने के लिए सब्सिडी पर कृषि मशीनरी देने की बात की जाती है, लेकिन यह सिर्फ दावों में ही उलझकर रह जाती हैं। उन्होंने मांग की कि सरकार किसानों को धान पर प्रति क्विटल के हिसाब से 100 रुपये सब्सिडी दी जाए, ताकि इसका समाधान कर सकें। सैटेलाइट से रखी जा रही नजर
डा. सुरजीत सिंह वालिया ने बताया कि पराली को आग लगाने पर सैटेलाइट से नजर रखी जा रही है। प्रत्येक दस गांवों पर एक क्लस्टर इंचार्ज नियुक्त किया गया है। जोकि मौके पर जाकर चेकिग करता है और उन्हें रिपोर्ट भेजते हैं और कार्रवाई करते हैं।
किसानों को कर रहे जागरूक
कृषि अधिकारी डा. सुरजीत सिंह वालिया ने कहा कि लगातार पराली को आग लगाने से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक कर रहे हैं, परंतु किसान यह आदेश मानने को तैयार नहीं है। दो एकड़ से कम जमीन वाले किसान को 2500 रुपये और दो एकड़ से अधिक जमीन वालों के पांच हजार से अधिक चलान किए जा रहे हैं।