नशा मक्ति केंद्र में आसानी से मिलता था नशा, विरोध करने पर होती थी पिटाई
गांव फतेहगढ़ न्युआं में खोले अवैध नशा मुक्ति केंद्र के अंदर ही आसानी से नशा मिल जाता था।
जागरण संवाददाता, फतेहगढ़ साहिब : खेड़ी नौध सिंह थाना के अधीन पड़ते गांव फतेहगढ़ न्युआं में खोले अवैध नशा मुक्ति केंद्र के अंदर ही आसानी से नशा मिल जाता था। संचालक अपने ऑफिस के दराज में नशीला पाउडर और गोलियां रखते थे। यदि किसी व्यक्ति को ज्यादा लत लगती थी या कोई घर जाने की जिद पर अड़ जाता था तो उसे वहीं पर नशा देकर टिकाया जाता था। उनके परिवार को इलाज जारी होने के झांसे में रखकर रुपए ऐंठे जाते थे। और तो और केंद्र में किसी का कोई मेडिकल चेकअप नहीं होता था। संचालक अपनी मर्जी का खाना देते थे। विरोध करने पर डंडों से पिटाई की जाती थी।
वहीं धर्म का नाम बदनाम करने वाले इन आरोपितों के केंद्र से पुलिस को एक भी धार्मिक किताब तक नहीं मिली। उधर, पुलिस ने इस मामले में गिरफ्तार किए परमजीत सिंह निवासी मनीमाजरा (चंडीगढ़) को शनिवार को फतेहगढ़ साहिब की अदालत में पेश कर दो दिनों का रिमांड हासिल किया। वहीं, केंद्र का मुख्य संचालक जगरूप सिंह निवासी इस्माइलपुर (खन्ना) अभी फरार है।
एसएचओ गगनप्रीत सिंह ने कहा कि आरोपित का दो दिनों का रिमांड हासिल किया है। 24 सितंबर को केंद्र में संदिग्ध परिस्थितियों में युवक की मौत मामले में भी उससे पूछताछ की जाएगी। गौरतलब है कि खेड़ी नौध सिंह पुलिस ने करीब एक साल से चल रहे इस अवैध नशा मुक्ति केंद्र पर रेड करके 29 व्यक्तियों को रिहा कराया था। संचालकों के दराज से 20 नशीली गोलियां और 2 ग्राम नशीला पाउडर मिला था।
दबी आवाज में बोले रिहा व्यक्ति, अमरीक से हुई थी मारपीट
बाबा जुझार सिंह अकादमी की आड़ में अवैध नशा मुक्ति केंद्र में 24 सितंबर को संदिग्ध परिस्थितियों में अमरीक सिंह निवासी खेड़ी शहीद (हरियाणा) की मौत के मामले में वहां से रिहा हुए अधिकतर व्यक्तियों ने दबी आवाज में बताया कि उस दिन केंद्र में अमरीक से मारपीट हुई थी। इसकी वजह उन्हें मालूम नहीं है। मारपीट के बाद उसे संचालक अस्पताल ले गए थे।
परिजन बोले - असीं ऐत्थे इलाज नी कराऊणा
उधर, जिला प्रशासन द्वारा केंद्र से रिहा कराए 29 व्यक्तियों को सरहिद के सरकारी पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया गया था। लेकिन इनमें से 16 के परिजन उन्हें वापस ले गए। अधिकतर परिजन बोले कि असीं ऐत्थे इलाज नी कराऊण..। बाकी के 13 में से मात्र 2 के परिजन ही सरकारी केंद्र में इलाज कराने पर राजी हुए। अन्य 11 के परिजन अभी पहुंचे नहीं थे। सरकारी केंद्र स्टाफ ने कहा कि जिनके परिजन राजी होंगे, उन्हें ही भर्ती करके इलाज की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।