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'कैंसर' से पीड़ित है मालोवाल का सेहत सेवा केंद्र, हफ्ते में खुलता है सिर्फ एक बार

गुरप्रीत सिंह, अमलोह : विधानसभा हलका अमलोह का सरकारी सेहत सेवा केंद्र मालोवाल पंजाब सरकार के मिशन तंदुरुस्त पंजाब को मुंह चिढ़ा रहा है और कई सालों से अपनी हालत पर आसू भी बहा रहा है और सेवा केंद्र की हालत इतनी पतली हो चुकी है कि वह खुद कैंसर की बीमारी से पीड़ित है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 01 Nov 2018 11:05 PM (IST)Updated: Thu, 01 Nov 2018 11:05 PM (IST)
'कैंसर' से पीड़ित है मालोवाल का सेहत सेवा केंद्र, हफ्ते में खुलता है सिर्फ एक बार
'कैंसर' से पीड़ित है मालोवाल का सेहत सेवा केंद्र, हफ्ते में खुलता है सिर्फ एक बार

गुरप्रीत सिंह, अमलोह : विधानसभा हलका अमलोह का सरकारी सेहत सेवा केंद्र मालोवाल पंजाब सरकार के मिशन तंदुरुस्त पंजाब को मुंह चिढ़ा रहा है और कई सालों से अपनी हालत पर आसू भी बहा रहा है और सेवा केंद्र की हालत इतनी पतली हो चुकी है कि वह खुद कैंसर की बीमारी से पीड़ित है। आसपास के 25 गावों के लोगों की सेहत सुविधा देने के लिए करोड़ों रुपयों की लागत से बनाए गए इस सेवा केंद्र में हफ्ते भर में सिर्फ एक रूरल डॉक्टर के आसरे से ही चल रहा है जोकि हफ्ते में सिर्फ एक बार ही अस्पताल आता है और अस्पताल चनारथल कला के पीएचसी के अधीन है। अस्पताल की जर्जर इमारत खंडहर का रूप धारण करती जा रही है। अस्पताल नियमित तौर पर ना खुलने से यहा मरीज तो नहीं आते, लेकिन अस्पताल के प्रागण में अवारा पशु अकसर आते जाते हैं।

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39 साल पहले सासद टोहड़ा ने रखा था नींव पत्थर

अमलोह के गाव मालोवाल के इस सेवा केंद्र का नींव पत्थर वर्ष 1979 में तत्कालीन सासद स्व. गुरचरन सिंह टौहड़ा ने रखा था। 6 एकड़ में बने इस सेहत सेवा केंद्र को आसपास के करीब 25 गावों को लोगों को घर के नजदीक सेहत सेवा देने के लिए बनाया गया था। वहीं, स्थानीय लोगों ने बताया कि इस सेहत केंद्र का उन्हें बहुत फायदा था, लेकिन इसके बंद होने से उन्हें 12 किलोमीटर दूर जाकर या फिर महंगे अस्पतालों में इलाज करवाना पड़ रहा है।

25 बेडों वाला अस्पताल कैसे बना खंडहर

स्थानीय लोगों ने बताया कि अस्पताल में करीब 25 मरीजों के लिए बेड लगे हुए थे। शुरू से ही इसे सही तरीके से चलाया नहीं गया और ना ही डॉक्टरों की कमी पूरी की गई है और ना ही कोई स्टाफ नर्स या अन्य सेहतकर्मी है। अस्पताल में डॉक्टरों की रिहायश के लिए अलग से बील्डिंग जरूर बनी हुई है जो सरकार और सेहत विभाग की अनदेखी के कारण जर्जर हो गई है और कभी भी गिर सकती है। गाव की महिलाओं ने कहा कि अस्पताल ना खुलने से गर्भ अवस्था वाली महिलाओं का ज्यादा दिक्कत होती है यहा उनका कोई इलाज नहीं हो रहा। अगर किसी महिला को एमरजेंसी लेकर जाना पड़े तो जान पर भी बन सकती है। अगर कभी कोई डॉक्टर सेहत केंद्र में आ भी जाता है तो उसके पास एक तरह की ही दवा होती है जो हर मरीज को देता है। उन्होंने कहा कि अगर इस अस्पताल को नहीं चलाना तो इस जगह पर गरीब लोगों के लिए प्लाट काट देने चाहिए, ताकि उनको कोई घर की सुविधा मिल सके। सेहत केंद्र की खराब हालत को देखकर लगता है कि इसे खुद अच्छे माहिर डॉक्टर की जरूरत है।

अस्पताल में सुविधाएं प्रदान करवाएंगे : सिविल सर्जन

जिले के सिविल सर्जन डॉ एन.के.अग्रवाल के ध्यान में जब अस्पताल की जर्जर हालत बताई गई तो उन्होंने कहा कि यह मामला उनके अब ध्यान में आया है। इस अस्पताल को चलाने के लिए जरूरी प्रयास शुरू किए जाएंगे और वहा जल्द ही यहा और डॉक्टरों को लगा कर लोगों को सेहत सुविधाएं प्रदान करवाएंगे।


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