पराली नहीं जला पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे रहा जगतार
जिले के किसान पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए कई तरीकों से पराली प्रबंधन कर रहे हैं। पराली को मलचर के तौर पर बरत कर जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ाई जा सकती है।
संवाद सहयोगी, फतेहगढ़ साहिब :
जिले के किसान पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए कई तरीकों से पराली प्रबंधन कर रहे हैं। पराली को मलचर के तौर पर बरत कर जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ाई जा सकती है। मुख्य कृषि अफसर डा. सुरजीत सिंह वालिया ने बताया कि विभाग ने सरहिद ब्लाक के गांव माजरी सोढिया में किसान जगतार सिंह के खेतों का दौरा किया गया और सुपर सीडर से गेहूं की बीजाई करवाई गई। जगतार सिंह ने कई वर्षो से पराली को आग नहीं लगाई और इसे विभाग द्वारा सुपर सीडर मशीन सब्सिडी पर उपलब्ध करवाई जाएगी।
डा. वालिया ने बताया कि सुपर सीडर से पराली को जमीन में मिलाने से उसकी उपजाऊ शक्ति में बढ़ोतरी की जा सकती है, जमीन में आर्गेनिक मादे की मात्रा में बढ़ोतरी, जमीन की पानी आब्जर्व करने की समर्था में बढ़ोतरी और वातावरण की शुद्धता बरकरार रहती है। कृषि उप निरीक्षक तेजिदर सिंह ने बताया कि किसान बेलर चलाकर पराली की गांठें बना सकते हैं। सुपर एसएमएस वाली कंबाइन से कटाई उपरांत हैप्पी सीडर, सुपर सीडर मशीन से गेहूं की सीधी बीजाई कर खेती खर्च कम किए जा सकते हैं। एटीएम हरदीप सिंह ने किसानों को धान की पराली, गेहूं की नाड़ को आग लगाने से होने वाले नुकसान के बारे में भी बताया। उन्होंने प्राकृतिक तत्वों की कमी, पक्षियों और जीवों की मौत तथा मनुष्य व पशुओं में फैलने वाली बीमारियों के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने समूह किसानों से अपील करते कहा कि पराली को आग न लगाई जाए, बल्कि इसे जमीन में मिलाकर ही बीजाई की जाए, ताकि प्राकृतिक स्त्रोतों को बचाया जा सके।