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श्रमिकों के जाने से लड़खड़ाई इंडस्ट्री, बोले- गेहूं का सीजन निकाला, इंडस्ट्री की बारी आई तो भेजने लगी सरकार

श्रमिकों के चले जाने से इंडस्ट्री पर वर्करों का संकट मंडरा गया है। उद्योगपतियों का कहना है कि सरकार ने श्रमिकों को भेजकर गलत कदम उठाया है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 08 May 2020 09:15 AM (IST)Updated: Fri, 08 May 2020 09:15 AM (IST)
श्रमिकों के जाने से लड़खड़ाई इंडस्ट्री, बोले- गेहूं का सीजन निकाला, इंडस्ट्री की बारी आई तो भेजने लगी सरकार
श्रमिकों के जाने से लड़खड़ाई इंडस्ट्री, बोले- गेहूं का सीजन निकाला, इंडस्ट्री की बारी आई तो भेजने लगी सरकार

फतेहगढ़ साहिब [धरमिंदर सिंह]। Coronavirus COVID_19 संकट के बीच एशिया की सबसे बड़ी लोहा नगरी मंडी गोबिंदगढ़ के उद्योगपति बुरी तरह फंस गए हैं। 44 दिन के Coronaviruslockdown से आर्थिक मंदी का शिकार इन उद्योगपतियों को पंजाब सरकार ने उद्योग चलाने की मंजूरी तो दे दी, लेकिन श्रमिकों के अपने राज्यों को लौटने से मुश्किलें बढ़ गईं हैं।

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डेढ़ महीने में 35 हजार से अधिक श्रमिक अकेले फतेहगढ़ साहिब जिले से विभिन्न राज्यों को लौट चुके हैं। 22 हजार और श्रमिकों ने घर वापसी के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है। नतीजा, उद्योगों को चलाने के लिए कामगार ही नहीं बचे। उद्योगपतियों के लाख मनाने के बाद भी वे पंजाब में रुकने को राजी नहीं। यही कारण है कि 85 फीसद इकाइयां अभी तक चालू नहीं हो सकीं। 15 फीसद इकाइयां भी वो चलीं जहां पहले से माल बना था। ये भी सामान्य दिनों की तरह सही तरीके से नहीं चल सकीं, क्योंकि, इनमें श्रमिक पूरे नहीं हैंं।

उधर, उद्योगपतियों ने सरकारी की तरफ से चलाई गई विशेष ट्रेनों के खिलाफ नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि सरकार ने गेहूं का सीजन तो पूरा करवा लिया। जब उद्योगों की बारी आई तो ट्रेनें चलवाकर श्रमिकों को घर भिजवाना शुरू कर दिया। श्रमिकों को रोकना होगा क्योंकि इनके कंधों पर ही इंडस्ट्री व अर्थव्यवस्था टिकी है।

एडवांस मांग रहे फोरमैन और श्रमिक

22 हजार श्रमिकों के घर लौटने के बाद लोहा नगरी में मुश्किल से 8 से 10 हजार श्रमिक ही बचे। यह वो श्रमिक हैं, जिन्होंने अपने मकान बना रखा है। इस श्रमिकों को लगा दें तो भी बीस फीसद इंडस्ट्री नहीं चलेगी। दूसरी सभी श्रमिक काम के बदले कुछ महीनों का एडवांस वेतन मांग रहे हैं। औद्योगिक इकाइयों में श्रमिकों को पूरा करने का जिम्मा संभालने वाले फोरमैन या ठेकेदार भी एडवांस के बिना राजी नहीं हो रही। जबकि उद्यमी पहले से छाई मंदी के बीच लाखों रुपये एडवांस में देने में असमर्थ हैं।

श्रमिकों को रोजगार के साथ सुविधाएं भी दे रहे उद्यमी

मंडी गोबिंदगढ़ में 350 के करीब रोलिंग मिल और 100 से अधिक फर्नेस हैं। एक रोलिंग मिल में 50 से 70 श्रमिक काम करते हैं जबकि फर्नेस में सौ से लेकर 125 श्रमिक काम करते हैं। फर्नेस इकाई के मालिक अंकुश वैक्टर, रोलिंग मिल मालिक प्रदीप भल्ला व संजीव धमीजा का कहना है कि वे सभी इंडस्ट्री चलाने को तैयार हैं। यहां रोजगार के साथ-साथ सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। बशर्ते सरकार को श्रमिकों को घर जाने से रोकने के इंतजाम करने होंगे।

श्रमिकों रोको, अर्थव्यवस्था बचाओ : विनोद वशिष्ट

ऑल इंडिया स्टील री-रोलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विनोद वशिष्ट का कहना है कि प्रदेश की लडख़ड़ाई अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए श्रमिकों को रोकना बेहद जरूरी है। प्रदेशभर से नौ लाख श्रमिक घर वापसी के लिए पंजीकरण करवा चुके हैं। अन्य इंडस्ट्री को स्थानीय श्रमिक आसानी से मिल जाएंगे, लेकिन लोहा इंडस्ट्री के लिए यह आसान नहीं होगा। सरकार का इस समय बाहरी श्रमिकों को घर भेजने का फैसला भी गलत है। यदि सरकार ने इन्हें भेजना ही था तो मार्च में भेज देती। अब तो मजदूरों को विशेष ट्रेनें चलाकर पंजाब वापस बुलाने का समय था।

एडवांस देने का रिस्क है : जैन

उद्योगपति अशोक जैन ने कहा कि पंजाब सरकार के आदेशों के बाद इंडस्ट्री चलाने की तैयारी की थी। सुबह से श्रमिक ढूंढ रहे हैं। पूरे श्रमिक नहीं मिल रहे। जो मिल रहे हैं वे एडवांस में पैसे मांग रहे हैं। इससे पैसे डूबने का भी रिस्क है।

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