सुस्ती चमकी बुखार का मुख्य लक्षण : डॉ. प्रदीप
संवाद सहयोगी सरहिद बिहार में चमकी बुखार से हो रही बच्चों की मौतों को लेकर जिला फ
संवाद सहयोगी, सरहिद : बिहार में चमकी बुखार से हो रही बच्चों की मौतों को लेकर जिला फतेहगढ़ साहिब का सेहत विभाग भी चिता में है। हालाकि सेहत विभाग का दावा है कि जिले में अभी तक कोई भी चमकी बुखार का केस सामने नहीं आया है। बावजूद इसके सेहत विभाग बिहार व उसके नजदीकी राज्यों से आने वाले लोगों व उनके बच्चों पर पैनी नजर रखे हुए है ताकि यह बीमारी जिले में पैर न पसार ले। यह है लक्षण
सिविल अस्पताल फतेहगढ़ साहिब में बच्चों की माहिर डॉ. प्रदीप कौर ने कहा कि चमकी बुखार छह माह से पांच वर्ष तक के बच्चों में अधिक पाया जा रहा है। जिसके मुख्य लक्षणों में जुकाम, बच्चे का सुस्त होना, बच्चे को दौरा पड़ना, तेज बुखार, ब्रेन इंफेक्शन, पानी की कमी, भूख का कम लगना आदि मुख्य तौर पर है। इसके अलावा दूषित खाना, रोना, दूध न पीना, शरीर अकड़ जाना आदि लक्ष्य है। डॉ. प्रदीप कौर ने बताया कि चमकी बुखार से बचने के लिए अपने बच्चों पर नजर रखें। बच्चे को पानी की कमी न होने दे। उन्हें पौष्टिक व संतुलित आहार दे। अगर उक्त लक्षणों में से कोई लक्ष्ण बच्चे में दिखाई दे या उसका व्यवहार बदले, तेज बुखार, खांसी आदि की शिकायत हो तो उसका सिविल अस्पताल में उपचार करवाए। जिले में कोई भी केस नहीं आया सामने : सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ. सिमरन कौर ने कहा कि चमकी बुखार को लेकर जिले में अभी तक कोई भी केस प्रकाश में नहीं आया है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर लीची के सेवन को चमकी बुखार से जोड़ा जा रहा है, जबकि ऐसा कुछ नहीं है। पर फिर भी माहिर लीची पर रिसर्च कर रहे है कि कहीं इसका चमकी बुखार से कोई संबंध तो नहीं है। फिर भी लोगों को लीची के सेवन से परहेज रखे। साथ ही उन्होंने लोगों से अपील करते कहा कि जिले में अभी तक ऐसा कोई भी केस नहीं है। फिर भी लोग अपने बच्चों का ध्यान रखे। कहा कि सिविल अस्पताल में उपचार के लिए खांसी, बुखार, डायरिया से पीड़ित बच्चों की पूरी जांच की जाती है ताकि बीमारी ओर न बढ़े और दिमाग तक न जाए। अगर कमजोर बच्चे को इंफेक्शन दिमाग तक पहुंच सकती है।
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