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जंझ तौं बाद दूले नू भैजणा कोई तुक्क तै नीं बणदी

मुस्लिम समुदाय में दूसरा मक्का मदीना माने जाने वाले पावन श्री रोजा शरीफ का 406वां वार्षिक उर्स बुधवार को संपन्न हो गया। मगर इस बार पाकिस्तान से आने वाले जैरीन को समय पर वीजा न मिलने से वह उर्स की अंतिम दुआ की नमाज में शामिल नहीं हो सके।

By JagranEdited By: Published: Fri, 09 Nov 2018 06:54 PM (IST)Updated: Fri, 09 Nov 2018 06:54 PM (IST)
जंझ तौं बाद दूले नू भैजणा कोई तुक्क तै नीं बणदी
जंझ तौं बाद दूले नू भैजणा कोई तुक्क तै नीं बणदी

जागरण संवादददाता, फतेहगढ़ साहिब

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मुस्लिम समुदाय में दूसरा मक्का मदीना माने जाने वाले पावन श्री रोजा शरीफ का 406वां वार्षिक उर्स बुधवार को संपन्न हो गया। मगर इस बार पाकिस्तान से आने वाले जैरीन को समय पर वीजा न मिलने से वह उर्स की अंतिम दुआ की नमाज में शामिल नहीं हो सके। वीरवार की देर रात को 144 के करीब पाकिस्तान से आए जैरीन तथा अपने खुद के वीजे पर आए 12 अन्य जैरीन ने रोजा शरीफ स्थित हजरत शेख अहमद फारूकी सरहिन्दी मुजद अलफसानी जी की पवित्र दरगाह पर सलाम पेश किया। दैनिक जागरण से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि उन्हें पंजाब के लोगों का बहुत प्यार मिला। वहीं स्थानीय सिविल और पुलिस प्रशासन ने उनको बहुत आदर सत्कार दिया, जिसे वह हमेशा दिल में संजोए रखेंगे।

इस मौके पर पाक-जैरीन के साथ आए जत्थे के नेता मोहम्मद हुसैन फारूक ने अल्लाह का शुक्रिया अदा करने के बाद कहा कि उन्हें इस धरती पर आकर आत्मिक सुकून मिला है। वह अपने 144 जैरीन के साथ यहां हजरत शेख अहमद फारूकी सरहिन्दी मुजद अलफसानी की पवित्र दरगाह पर सलाम पेश करने आए हैं। उन्होंने कहा कि बीते बुधवार को वार्षिक उर्स की अंतिम नमाज पूरी हो चुकी थी, ¨कतु भारतीय सरकार ने उन्हें अगर पहले वीजा दिया होता तो वह बुधवार की दुआ में शामिल हो सकते थे। यह वीजा बाद में भी दिया गया है तो इसे पहले भी दिया जा सकता था। उन्होंने पंजाबी में एक वाक्य दोहराते कहा कि जंझ तौं बाद दूले नू भैजणा कोई तुक्क तै नीं बणदी, वह फिर भी भारत सरकार को अपील करते हैं कि धार्मिक मामले में वह पूरी संजीदगी से पाक जैरीन की भावनाओं का ख्याल जरूर रखें।

5 नवंबर को मिलना था वीजा

रोजा शरीफ के प्रमुख खलीफा सैय्यद मोहम्मद सादिक रजा मुजद्दी ने बताया कि पाक से शुक्रवार को 144 जैरीन आए हैं। पहले इनका वीजा 5 नवंबर को मिलने की संभावना थी ¨कतु किसी कारणवश जैरीन को वीजा नहीं मिल पाया और वह रोजा शरीफ के मुख्य समारोह, जो बुधवार को था की, अंतिम दुआ में शामिल नहीं हो सके। किंतु इस बात की भी खुशी है कि वह शुक्रवार को भी पहुंच ही गए। कराची से पीर परिवार से पहुंचे 13 परिवारिक सदस्य

हजरत शेख अहमद फारूकी सरहिन्दी मुजद अलफसानी की पवित्र दरगाह पर अपने पूवर्जो को सलाम पेश करने के लिए पाकिस्तान हाईकोर्ट के वकील मुदसीर अहमद जन सर¨हदी ने बताया कि वह हजरत शेख अहमद फारूकी सरहिन्दी मुजद अलफसानी जी के परिवार में से हैं और कराची से 13 परिवारिक सदस्यों के साथ कराची ¨सध से आए हैं, जिनमें उनके समेत पीर साजिद जन सर¨हदी, मकबूल अहमद, सरमद सैय्यद जन, अब्बदुल गफूर उम्र सर¨हदी, अब्बदुल मोइन सर¨हदी, गुलाम रबानी सर¨हदी, मोहम्मद शबन अली, मोहम्मद जोहान जेब, गफूर जन सर¨हदी, मोहम्मद महमूद, डॉ. मसूद और पीर नयाज अहमद ने बताया कि कराची में उन्हें सर¨हदी पीर के नाम से जाना जाता है।


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