कांग्रेस, शिअद, बीजेपी को छोड़ सबसे गठबंधन करेगा यूएडी
(फतेहगढ़ साहिब) : युनाइटेड अकाली दल (यूएडी) ने भले ही गत 25 नवंबर को अपनी सारी कार्यकारिणी भंग कर दी थी, लेकिन अब नई कार्यकरिणी के गठन के लिए उसने तैयारी भी शुरु कर दी है।
जागरण संवाददाता, (फतेहगढ़ साहिब) : युनाइटेड अकाली दल (यूएडी) ने भले ही गत 25 नवंबर को अपनी सारी कार्यकारिणी भंग कर दी थी, लेकिन अब नई कार्यकरिणी के गठन के लिए उसने तैयारी भी शुरु कर दी है। इसके लिए गुरुद्वारा श्री फतेहगढ़ साहिब के मी¨टग हाल में गैर रस्मी बैठक बुलाई गई। यूएडी के महासचिव गुरदीप ¨सह ब¨ठडा ने बताया कि कुछ दिन पहले दल के आठ सदस्यों का एक शिष्टमंडल नई दिल्ली के त्यागराज मार्ग में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती से मिला था और कांग्रेस, अकाली दल और भाजपा को छोड़कर उन्हें सभी धार्मिक और राजनीतिक पार्टियों से मिलकर 2019 के लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री पद के लिए चुनाव लड़ाने में हर तरह का सहयोग देने को कहा था। शिष्टमंडल में गुरदीप ¨सह ब¨ठडा, ज¨तदर ¨सह ईसड़ू, बहादुर ¨सह राहों, अजीत ¨सह भंगू, ¨छदरपाल ¨सह बराड़, कृष्ण चंद आहुजा, रमनदीप ¨सह और बाबा कुल¨वदर ¨सह शामिल थे। बसपा के पंजाब के प्रधान रछपाल ¨सह राजू, पार्टी के महासचिव डॉ. मेघराज और इंचार्ज रणवीर ¨सह बैनीपाल भी शिष्टमंडल में शामिल थे।
मायावती से बैठक के दौरान पंजाब के हालातों पर ¨चता व्यक्त की गई और शिष्टमंडल ने सांझी राय के अनुसार मायावती को 2019 में प्रधानमंत्री पद के लिए चुनाव लड़ाए जाने पर सहमति जताई गई। नेताओं ने कहा कि मायावती के हाथों में ही अनुसूचित और अल्पसंख्यकों का भविष्य सुरक्षित है। इसके अलावा पंजाब में शिअद, भाजपा और कांग्रेस को छोड़कर सभी पार्टियों से गठबंधन का दायरा बढ़ाया जाएगा। इस मौके पर गुरदीप ¨सह ब¨ठडा, गुरनाम ¨सह सिद्धू, डॉ भगवान ¨सह, ज¨तदर ¨सह ईसड़ू, डॉ हरमनजीत ¨सह, बाबा कुल¨वजर ¨सह, जस¨वदर ¨सह घोलिया, गुरमीत ¨सह, किशन चंद, हरप्रीत ¨सह देवीगढ़ मौजूद थे।
बादल कैप्टन हैं एक दूसरे के हमदर्दी
यूएडी के नेताओं ने बैठक में एक सुर में कहा कि शिअद बादल ने पंजाब को पंथक तौर पर तबाह किया है और कैप्टन अम¨रदर ¨सह की भी बादल परिवार के साथ बड़ी हमदर्दी रही है। गत 7 अक्टूबर को जैसे ही बरगाड़ी मोर्चे में इंसाफ के लिए संगत को पहुंचने का आह्वान किया गया तो बादल और कैप्टन ने लोगों का ध्यान बरगाड़ी मोर्च से हटाने के लिए एक दूसरे के गढ़ में बड़ी रैलियां रख लीं। इन सब बातों से दुखी होकर पंजाब के लोगों ने प्रदेश में बदलाव की मांग की है।