Move to Jagran APP

60 प्रतिशत कम रहा फतेहगढ़ साहिब का प्रदूषण

जिले के प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने पूरे जिले में दीवाली के बाद वायु गुणवत्ता सूचकाक (एक्यूआइ) 250 दर्ज किया है। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के एक्सईएन कम प्रदूषण कंट्रोल के जिला कोऑर्डिनेटर विजय कुमार मुताबिक पिछले साल के मुताबिक हवा प्रदूषण में 60 प्रतिशत की कमी पाई गई है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 08 Nov 2018 07:28 PM (IST)Updated: Thu, 08 Nov 2018 07:28 PM (IST)
60 प्रतिशत कम रहा फतेहगढ़ साहिब का प्रदूषण
60 प्रतिशत कम रहा फतेहगढ़ साहिब का प्रदूषण

लखवीर सिंह लक्की, फतेहगढ़ साहिब

loksabha election banner

जिले के प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने पूरे जिले में दीवाली के बाद वायु गुणवत्ता सूचकाक (एक्यूआइ) 250 दर्ज किया है। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के एक्सईएन कम प्रदूषण कंट्रोल के जिला कोऑर्डिनेटर विजय कुमार मुताबिक पिछले साल के मुताबिक हवा प्रदूषण में 60 प्रतिशत की कमी पाई गई है। वहीं सेंट्रल प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की एप पर 8 नवंबर शाम 4 बजे तक जिले का वायु गुणवत्ता सूचकाक (एक्यूआइ) 250 दर्ज किया गया है, जो पिछले साल की अपेक्षा 60 प्रतिशत कम प्रदूषण हुआ है। उन्होंने बताया कि दिवाली से पहले यह सूचकाक 210 के करीब था एवरेज दीवाली के बाद 24 प्रतिशत प्रदूषण बढ़ा है। हमारे जिले में अमृतसर और बठिंडा के बाद प्रदूषण कम करने में तीसरा नंबर आया है। प्रदूषण कम होने बारे एक्सईएन ने बताया कि एक तो सुप्रीम कोर्ट ने पटाखे चलाने का समय सीमित किया था। वहीं पंजाब सरकार के मिशन तंदुरुस्त मिशन पंजाब के तहत पराली जलाने वाले किसानों पर की गई सख्त के बाद ही हवा की गुणवत्ता में सुधार होना शुरू हुआ है अगर ऐसे ही सुधार होता गया तो हम अपना हवा शुद्ध करने में जल्दी सफलता हासिल कर लेंगे।

मुंबई से अधिक प्रदूषित है मंडी गोबिंदगढ़

सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की एप समीर पर दिए गए आकड़ों के मुताबिक दिल्ली और नोएडा अभी भी सबसे अधिक प्रदूषित महानगरों में से शुमार हैं। जिसका हवा सूचकाक 410 और नोएडा का सबसे अधिक 450 अंक है। वहीं, औद्योगिक शहर मंडी गोबिंदगढ़ का एक्यूआई 250 है, जबकि मुंबई का सूचकाक 235 है। पटियाला-264, अमृतसर 208, बठिंडा 192, जालंधर 294, खन्ना 208 रूपनगर 146 और लुधियाना -------है।

बीते महीने में प्रदूषण बोर्ड ने काटे 62 चालान

एक्सईएन विजय कुमार अनुसार उन्होंने पिछले महीने पराली जलाने वाले लोगों के 62 चालान काटे हैं। जिसमें हलका अमलोह में ज्यादा चालान हुए है। सबसे कम चालान हलका बस्सी पठानां की सब-डिवीजन खमाणों में हुए हैं। अमलोह में ज्यादा चालान होने का कारण यह भी रहा है कि यहा के किसान आलू की फसल के लिए किसी का इंतजार नहीं करते और धान की फसल के बाद खेत में आग लगाकर आलू की खेती करते हैं। इसके लिए किसानों के पास समय कम होता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.