लोकहित वाले ही किस्मत अजमाएं
जैसे ही चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है वैसे ही लोकसभा चुनाव दिलचस्प बनता जा रहा है। कहावत है कि देश की सत्ता गांवों की चौपाल से शुरू होती है। बड़े नेता अकसर चुनावी रैलियों में गांवों में लगनी वाली बुजुर्गो व आम लोगों की चौपाल का जिक्र भाषणों में करते हैं।
गुरप्रीत सिंह, अमलोह : जैसे ही चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है वैसे ही लोकसभा चुनाव दिलचस्प बनता जा रहा है। कहावत है कि देश की सत्ता गांवों की चौपाल से शुरू होती है। बड़े नेता अकसर चुनावी रैलियों में गांवों में लगनी वाली बुजुर्गो व आम लोगों की चौपाल का जिक्र भाषणों में करते हैं। लोकसभा हलका फतेहगढ़ साहिब में रिवायती पार्टियों के साथ-साथ सत्ता में आईं नई पार्टियां भी जीत का दावा कर रही हैं। वहीं उम्मीदवार अपने-अपने चुनावी हलकों में वोटरों को लुभाने में लगे हैं। कोई भावुक हो रहा है, कोई गरीबी का हवाला दे रहा है तो कोई खुद को ईमानदार साबित करने में जुटा है। इसके साथ ही सोशल मीडिया का भी सहारा लिया जा रहा है। विधानसभा हलका अमलोह के गांवों का दौरा करने पर पाया कि नौजवान व बुजुर्ग इस बार मैदान में उतरे उम्मीदवारों को खूब खरी खोटी सुना रहे हैं। मौकाप्रस्त उम्मीदवारों को घर बैठने की सलाह भी दी है।
1. सभी जज्बातों से खेलते
गांव भद्दलथूहा की चौपाल में बैठे कुलदीप सिंह नंबरदार ने कहा, चाहे कोई भी पार्टी आए सभी लोगों के जज्बातों से खेलतीं है। अगर लोग चाहें तो सरकारों से क्या नहीं करवा सकते।
2. सेवा करना सांसदो की सामाजिक जिम्मेदारी
मोहम्मद जमालदीन ने उम्मीदवारों पर तंज कसते कहा कि हाथी के दांत खाने को और दिखाने के और हैं। लोगों की सेवा करना सांसदो की सामाजिक जिम्मेदारी है।
3. जीतने के बाद हाल तक नहीं जानते कुछेक
झरमल सिंह ने अकाली-भाजपा और कांग्रेस पार्टी में ही मुकाबला बताते हुए कहा, कुछ उम्मीदवार जीतने के बाद हलके में नहीं आते ऐसे उम्मीदवार लोगों को गुमराह कर जाते हैं तो दूसरी बार अच्छे उम्मीदवार को कोई चुनता नहीं।
4. आज भी भुगत रहे खामियाजा
गुरचरन सिंह ने कहा कि पिछली बार आम आदमी पार्टी के सांसद हरिदर सिंह खालसा को वोट दिया था जिसका खामियाजा आज भी भुगत रहे हैं। आखिर में चौपाल में बैठे लोगों ने हास्य व्यंग करते कहा कि इस बार तां सारा ही पिड मित्रां दा, फिलहाल किसी की जीत के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। लोकहित को समझने वाला उम्मीदवार ही किस्मत अजमाए, बाकियां दा तां रब्ब राखा।