दर्जे में बढ़ौतरी, शिक्षकों में कटौती
ाज्य सरकार शिक्षा के विकास के चाहे कितने भी दावे करे। परंतु यह दावे केवल ब्यानों तक ही सीमित हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्टर तो मौजूद है। लेकिन शिक्षकों की कमी के कारण सरकारी स्कूल शोपीस से अधिक नहीं रह गए हैं।
संवाद सहयोगी, अमलोह : राज्य सरकार शिक्षा के विकास के चाहे कितने भी दावे करे। परंतु यह दावे केवल ब्यानों तक ही सीमित हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्टर तो मौजूद है। लेकिन शिक्षकों की कमी के कारण सरकारी स्कूल शोपीस से अधिक नहीं रह गए हैं। यही कारण है कि निजी स्कूल दिन-प्रतिदिन तरक्की करते हुए अभिभावकों का शोषण करने में जुटे हैं। ब्लाक अमलोह के गांव लक्खा ¨सह वाला का सरकारी मीडिल स्कूल जिले की ऐसी मिसाल बन गया है। जहां पर बीते एक साल से केवल एक अध्यापक 40 बच्चों के भविष्य को संवारने की कोशिश में जुटा है। इस स्कूल में तीन अध्यापकों के पद रिक्त चलने के कारण यह स्कूल केवल एक अध्यापक की देख-रेख में चल रहा है।
स्कूल की पसवक समिति का कहना है कि इस स्कूल को कुछ समय पहले मीडिल स्कूल बनाने का दर्जा दिया गया था। साथ ही चार शिक्षकों के पद मंजूर किए गए। बीते समय में दो अध्यापकों के सेवानिवृत होने और तीसरे अध्यापक को कहीं शिफ्ट किए जाने के बाद अब स्कूल में केवल एक ही शिक्षक रह गया है।
मजबूरी में निजी स्कूलों का रूख कर रहे अभिभावक
अध्यापकों की कमी के कारण बड़ी संख्या में लोगों ने अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में दाखिला करवाने की तैयारी भी कर ली है। अभिभावकों ने सरकार से मांग की कि खाली पड़े पदों को बिना देरी किए भरे जाएं ताकि बच्चों का भविष्य बेहतर बनाया जा सके। तकरीबन एक साल से स्कूल में एक ही अध्यापक बच्चों को पढ़ा रहा है। स्कूल में कुल 40 विद्यार्थी हैं। अध्यापकों की कमी के कारण बड़ी संख्या में बच्चे बिना पड़े ही अपने घरों को लौटने के लिए मजबूर हो रहे हैं।
जल्द भरेंगे खाली पद
जिला शिक्षा अधिकारी सेकेंडरी परमजीत कौर सिद्धू ने बताया कि यह स्कूल सर्व शिक्षा अभियान के तहत आता है। इस लिए इस स्कूल में कई पद खाली चल रहे हैं। जल्द ही इस स्कूल में खाली पड़े पदों को भरने की कोशिश करेंगे। ताकि बच्चों का भविष्य खराब न हो सके।