ब्लैक स्पॉट बुझा रहे घरों के चिराग, कई सालों से प्रशासन अलाप रहा एक ही राग
केंद्र सरकार देश में सड़क हादसों को कम करने के मकसद से तमिलनाडु मॉडल लागू करने का ऐलान कर चुकी है।
धरमिंदर सिंह फतेहगढ़ साहिब,
एक तरफ केंद्र सरकार देश में सड़क हादसों को कम करने के मकसद से तमिलनाडु मॉडल लागू करने का ऐलान कर चुकी है, वहीं दूसरी तरफ कई सालों से सड़क हादसे रोकने का एक ही राग अलाप रहे प्रशासन से उम्मीद कम ही है कि वह इस दिशा में कुछ करेगा। क्योंकि फतेहगढ़ साहिब जिले में ही कई सालों से ब्लैक स्पॉट पर हादसों की रोकथाम के लिए ग्राउंड लेवल पर बिल्कुल भी प्रयास नहीं हुए। इस कारण ब्लैक स्पॉट घरों के चिराग बुझा रहे हैं। कई चौक कीमती जानों पर भारी पड़ रहे हैं। आज तक इस समस्या का हल नहीं हो सका। माधोपुर चौक
जीटी रोड पर यह चौक औसतन हर महीने पाच लोगों की जिंदगी छीन लेता है। घायलों की बात करें तो रोजाना ही इस चौक में एक दर्जन के करीब राहगीर घायल होकर अस्पतालों में पहुंचते हैं। इस चौक में न कोई ट्रैफिक लाइट है और न ही स्पीड लिमिट का इंतजाम। न ही यहा कोई ट्रैफिक पुलिस कर्मी होता है। इसी चौक से पटियाला को ट्रैफिक आती जाती है। चारो दिशाओं से तेज रफ्तार से आने वाले वाहन आपस में टकराने का खतरा हर पल बना रहता है। समाधान
इस चौक में ट्रैफिक लाइटों का प्रबंध होना चाहिए। रात के समय ज्यादा रोशनी वाली लाइटें होनी चाहिए। स्पीड ब्रेकर और स्पीड लिमिट भी अति जरूरी है। इनके सुचारू संचालन के लिए दिन भर ट्रैफिक कर्मी होने चाहिए और रात को पीसीआर तैनात होनी चाहिए।
खंडा चौक
चंडीगढ़, मोहाली जाने के लिए रेलवे ब्रिज उतरते ही खंडा चौक बना है। इसकी बनावट ही हादसों की जड़ है। चंडीगढ़ से आने वाले ज्यादातर वाहन चालक पुल के नीचे के लंबे फर्क की बजाय रांग साइड आकर शॉर्टकट अपनाते हैं और हादसे होते रहते हैं। मोरिंडा, रूपनगर, बस्सी और फतेहगढ़ साहिब से आने वाले हैवी व्हीकल चौक में मुश्किल से निकलते हैं, क्योंकि इसकी एक तरफ दो साइड्स की ट्रैफिक आपस में मिलती है। उस तरफ चौड़ाई कम होने कारण हादसे होते हैं। इस चौक में भी रोजाना ही लोग घायल होते हैं। महीने में यह चौक भी औसतन दो-तीन लोगों की जिंदगी छीन लेता है। समाधान
इस चौक में हादसे तभी रुकेंगे जब ट्रैफिक लाइटें लगेंगी। सड़क की चौड़ाई ज्यादा की जाएगी और रांग साइड से आने वाले वाहनों को बिल्कुल बंद कर दिया जाएगा। शमशेर नगर चौक
सरहिंद-चंडीगढ़ रोड पर मंडोफल गाव के पास शमशेर नगर चौक है। इस चौक में कोई भी स्ट्रीट और ट्रैफिक लाइट नहीं है। न कोई स्पीड ब्रेकर और न ही आगे चौक का संकेत देते कोई बोर्ड लगाए हुए हैं। तेज रफ्तार वाहन यहा अकसर हादसों का कारण बनते हैं। इस ब्लैक स्पॉट पर लाइटें लगाने की योजना कई सालों से चली आ रही है जो सिर्फ कागजों तक सीमित है। समाधान
स्ट्रीट और ट्रैफिक लाइट्स, स्पीड ब्रेकर, सूचनात्मक बोर्ड और लाइट्स ही हादसों को रोकने में सफल हो सकती हैं। भैरोपुर बाईपास
सरहिंद की अंदरूनी और बाहरी ट्रैफिक समेत चंडीगढ़ से आने वाली ट्रैफिक भैरोपुर बाईपास में इकट्ठी होती है। इस चौक में कोई भी स्ट्रीट और ट्रैफिक लाइट नहीं है। न कोई स्पीड ब्रेकर और न ही आगे चौक का संकेत देते कोई बोर्ड लगाए हुए हैं। तेज रफ्तार वाहन यहा अकसर हादसों का कारण बनते हैं। इस ब्लैक स्पॉट पर लाइटें लगाने की योजना कई सालों से चली आ रही है जो सिर्फ कागजों तक सीमित है।
समाधान
स्ट्रीट और ट्रैफिक लाइट्स, स्पीड ब्रेकर, सूचनात्मक बोर्ड और लाइट्स लगाए जाने से हादसों को रोका जा सकता है।
कोर्ट्स
अकेले ब्लैक स्पॉट नहीं पूरे जिले में सड़क हादसे कम करने के प्रयास जारी हैं। सर्दी के मौसम को ध्यान में रखते हुए सीनियर अधिकारियों ने मीटिंग रख ली है। ट्रैफिक लाइट्स लगाने, सफेद पट्टी बनाने का काम भी शुरू कर दिया जाएगा।
सुखपाल सिंह, जिला ट्रैफिक प्रभारी