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लोहा नगरी में इंडस्ट्री हब को लगा जंग

भारत की प्रसिद्ध लोहा नगरी मंडी गोबिदगढ़ का पूरा कारोबार विदेशी आयतित स्क्रैप पर निर्भर है। यहां से इंगट बिल्ट कुल्फी टीएमटी सरिया चैनल लोहा पत्ती आदि बनकर देश-विदेश में सप्लाई होते हैं। आयातित स्क्रैप से लोहा तैयार करने की रीत सदियों पुरानी है और अभी तक कोई भी सरकार इसे इंडस्ट्री हब नहीं बना सकी। 450 के करीब छोटी-बड़ी लोहा इकाइयों में पुराने तरीके से काम चल रहा है और इसी रिवायत के चलते विभिन्न तरह के उपकरण तैयार करने की कोई बड़ी सरकारी यूनिट नहीं लग पाई है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 15 Apr 2019 05:38 PM (IST)Updated: Mon, 15 Apr 2019 05:38 PM (IST)
लोहा नगरी में इंडस्ट्री हब को लगा जंग
लोहा नगरी में इंडस्ट्री हब को लगा जंग

लखवीर सिंह लक्की, फतेहगढ़ साहिब :

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भारत की प्रसिद्ध लोहा नगरी मंडी गोबिदगढ़ का पूरा कारोबार विदेशी आयतित स्क्रैप पर निर्भर है। यहां से इंगट, बिल्ट, कुल्फी, टीएमटी सरिया, चैनल, लोहा पत्ती आदि बनकर देश-विदेश में सप्लाई होते हैं। आयातित स्क्रैप से लोहा तैयार करने की रीत सदियों पुरानी है और अभी तक कोई भी सरकार इसे इंडस्ट्री हब नहीं बना सकी। 450 के करीब छोटी-बड़ी लोहा इकाइयों में पुराने तरीके से काम चल रहा है और इसी रिवायत के चलते विभिन्न तरह के उपकरण तैयार करने की कोई बड़ी सरकारी यूनिट नहीं लग पाई है। पंजाब सरकार ने 2017 के विधानसभा चुनाव में इंडस्ट्री को पांच रुपये प्रति यूनिट बिजली देने की घोषणा की थी जिसे अभी तक पूरा नहीं किया गया। दूसरी ओर सरकार ने 19 फरवरी को उद्योगों को 1513 करोड़ की बिजली सब्सिडी देने की ऐलान किया था, जिसे कारोबारियों ने खूब सराहा। इसके अलावा पिछले साल उद्योग मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा ने जिले के तीन हलकों में 15-15 करोड़ के इंडस्ट्री कलस्टर हेड बनाने की घोषणा की थी जो पूरी नहीं हुई। अब यहां पर अमरीका, जापान, चीन जैसे देशों की तरह आधुनिक मशीनों से उपकरण बनाने की मांग उठ रही है, ताकि व्यापारिक तौर पर मंडी गोबिदगढ़ का नाम विदेश में भी चमक सके।

उद्यमियों की राय

मंत्री की मात्र रही घोषणा, अनदेखी से रुकी विश्व पहचान

राज्य व केंद्र सरकार चाहे तो मंडी गोबिदगढ़ को व‌र्ल्ड लेवल की मार्केट में खड़ा कर सकती है। यहां इंडस्ट्री हब बनना जरूरी है। अब तक सदियों से लोहा पिघलाकर उसके इंगट, चैनल, बिल्ट, सरिया पत्ती आदि बनाए जा रहे हैं, जबकि चीन, जापान व अमेरिका नए मशीनी युग में परिवर्तित हो चुका है। सोशल मीडिया पर उक्त देशों में बनाई जा रही मशीनरी को देखकर हैरान हो जाते हैं। यह सभी सरकारों की अनदेखी का नतीजा है, ऐसे में जरूरत है कि सरकार के योजनाकार इस ओर ध्यान दें। मंडी गोबिदगढ़ में क्या नहीं बन सकता, अगर लोहा पिघलाकर उसका सांचा तैयार हो सकता है तो यहां दो पहिया वाहन यूनिट, बेरिग बनाने, आर्मी टैंक, रेल-डिब्बे, गन फैक्ट्री, खेती उपकरण समेत कई बड़े कारोबार शुरू किए जा सकते हैं। कुछ भी करने से पहले सरकार यहां स्टील चैंबर का कार्यालय जरूर स्थापित करे, ताकि केंद्र सरकार का कोई भी अधिकारी व औद्योगिक मंत्री उद्योगपतियों से हर तिमाही बैठक करे। उद्योग मंत्री भारत भूषण की घोषणाएं अभी पूरी नहीं हुई हैं। मंत्री ने कहा था कि देश भर में लगने वाले पांच बड़े री-साइकलिंग यूनिटों में से एक यूनिट मंडी गोबिदगढ़ में भी लगाया जाएगा।

(प्रदीप भल्ला, प्रवक्ता स्माल स्केल स्टील री-रोलर्स एसोसिएशन, मंडी गोबिदगढ़) बड़े आर्थिक पैकेज यूनिट की जरूरत

मंडी गोबिदगढ़ में जितनी भी बड़े फर्नेस यूनिट हैं, उनका काम विदेशी स्क्रैप पर आयातित है। सरकार को यहां एक बड़े आर्थिक पैकेज वाले औद्योगिक यूनिट लगाने की अहम जरूरत है, ताकि इसे इंड्रस्टी हब का दर्जा मिल सके और यहां का कारोबार बढ़े फूले। बड़े यूनिट लगने से युवाओं को रोजगार मिलेगा। इसके लिए यहां पीएसयू (पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिग) के तहत करीब 150 करोड़ से बड़े औद्योगिक यूनिट लगाने की ज्यादा जरूरत है, ताकि युवाओं को रोजगार मिल सके।

(महेंद्र गुप्ता, अध्यक्ष इंडक्शन फर्नेस एसोसिएशन) सरकार लगाए श्रेडिग यूनिट

मंडी गोबिदगढ़ में लोहा धरती से नहीं निकलता। सारा काम विदेश से आते स्क्रैप पर निर्भर है। जो वाहन दस साल चलने के बाद नकारा हो जाते हैं वह स्क्रैप बनते हैं। इसमें कार, स्कूटर, ट्रक, बस व ऑटो सभी तरह के वाहन हो सकते हैं। सरकार यहां पुराने वाहनों का स्क्रैप इकट्ठा करने के लिए एक बड़ा श्रेडिग यूनिट बनाए, ताकि उद्यमियों को महंगे भाव में विदेश से स्क्रैप न मंगवाना पड़े। फर्नेस इकाइयों में स्क्रैप की जरूरत को श्रेडिग यूनिट से पूरा किया जा सकेगा। इससे जहां सरकार को टैक्स के रूप में रेवेन्यू इकट्ठा होगा, वहीं उद्योगों को सही दाम की स्क्रैप यहीं से उपलब्ध होगी।

(विनोद वशिष्ट, अध्यक्ष, ऑल इंडिया स्टील री-रोलर्स एसोसिएशन) सरकार ने कभी कोई निवेश नहीं किया

मंडी गोबिदगढ़ में अभी तक किसी सरकार ने यूनिट के लिए निवेश नहीं किया। इसे औद्योगिक शहर का टैग जरूर दिया मगर, यहां कभी भी राज्य या केंद्र सरकार ने इंडस्ट्री स्थापित करने का प्रयास नहीं किया। इसके अतिरिक्त न ही इसके लिए ठोस नीति बनाई है। आने वाले समय में यह अहम बात रहेगी कि युवाओं को रोजगार कहां से मिलेगा? इसके लिए अभी से प्रयास शुरू करने होंगे।

जगमोहन डॉटा (लोहा व्यापारी-मंडी गोबिदगढ़) वादों का सच

1. 2018 क ी बड़ी घोषणाएं

पिछले साल 19 जुलाई को उद्योगमंत्री सुंदर शाम अरोड़ा मंडी गोबिदगढ़ व खन्ना के उद्योगपतियों से 41 नए उद्योग लगाने के लिए 602.50 करोड़ के देशी और विदेशी निवेशकों से मेमोरैंडम ऑफ अंडरस्टेंडिग (एमओयू) साइन कर चुके हैं। इसके तहत 4500 नौजवानों को रोजगार देने सहित यहां बड़ा री-साइकलिंग यूनिट लगाने की घोषणा कर चुके हैं। वहीं गांव वजीराबाद में 133 एकड़ में नया फोकल प्वांइट बनाने, सड़कों पर खड़े ट्रकों के लिए पार्किग, इंडस्ट्री की कच्ची सड़कों को पक्का करने के लिए एक करोड़ 23 लाख रुपये खर्च करने की घोषणा आदि कर चुके हैं।

2. कागजों में चली रही बैठकें

अगर नया निवेशक 10 करोड़ रुपये खर्च कर पंजाब में नया यूनिट स्थापित करना चाहता है, तो उसके लिए औद्योगिक विभाग को इमेल करें और शाम को उस इमेल का रिप्लाई मिलेगा। सभी जिला डीसी को आदेश दिए गए थे कि 10 करोड़ के यूनिट लगने पर किसी भी प्रकार के सिगल विडो सिस्टम से काम निपटाया जाए। हर तीन महीने के बाद हम (मंत्री) डीसी से बैठक करेंगे और इंडस्ट्री की समस्याएं हल करेंगे। यह सिर्फ सुविधा घोषणा तक ही सीमित रही। जमीनी स्तर पर हकीकत कुछ ओर ही है।

3. तीनों हलकों में बनेंगे कलस्टर हेड, शुरुआत नहीं

अरोड़ा ने फतेहगढ़ साहिब के तीनों हलकों के कांग्रेस विधायकों को हलकों में इंडस्ट्री को प्रफ्फुलित करने के लिए 15-15 करोड़ के कलस्टर हेड बनाने को कहा था। इसमें सरकार प्रति हलके को साढ़े 13 करोड़ रुपये देगी। वहीं बस्सी पठाना में 8 एकड़ में फोकल प्वाइंट बनाने को मंजूरी दी थी। लेकिन अभी तक शुरुआत न हो सकी।

4. स्टील चैंबर हाउस को मंजूरी, नहीं बना

अमलोह के विधायक काका रणदीप सिंह द्वारा मंडी गोबिदगढ़ में सभी औद्योगिक एसोसिएशनों के लिए एक स्टील चैंबर बिल्डिंग के लिए 15 करोड़ की मांग रखी थी। जिस पर मंत्री अरोड़ा ने कहा था कि स्टील चैंबर दफ्तर के लिए 15 की बजाय 25 करोड़ देने के लिएतैयार हैं। आप जगह का इंतजाम करो। अब तक जमीन पर कुछ भी नजर नहीं आ रहा है।

5. नहीं मिली पांच रुपये वाली बिजली

पांच रुपये बिजली यूनिट की मांग पर उद्योग मंत्री ने कहा कि 24 घंटे तक चलने वाली औद्योगिक इकाइयों के लिए सरकार ने बिजली की 1440 करोड़ की सब्सिडी का पैसा बिजली विभाग को दिया है।


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