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निजी स्कूलों को मात दे रहा पंजाब का यह सरकारी स्कूल, सस्ती शिक्षण सामग्री से अनमोल शिक्षा

फरीदकोट के बाड़ा भाइका का यह प्राइमरी स्कूल निजी स्कूलों को भी मात दे रहा है। एक शिक्षक ने शिक्षण के फार्मूले से स्कूल को पूरी तरह बदल दिया और बाकी स्कूलों के लिए यह माडल बन गया।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Wed, 26 Aug 2020 01:03 PM (IST)Updated: Wed, 26 Aug 2020 01:08 PM (IST)
निजी स्कूलों को मात दे रहा पंजाब का यह सरकारी स्कूल, सस्ती शिक्षण सामग्री से अनमोल शिक्षा
निजी स्कूलों को मात दे रहा पंजाब का यह सरकारी स्कूल, सस्ती शिक्षण सामग्री से अनमोल शिक्षा

फरीदकोट [प्रदीप कुमार सिंह़]। करीब 11 साल पहले गांव बाड़ा भाइका के प्राइमरी स्कूल को शायद ही कोई जानता था। गिनती के बच्चे पढ़ने आते थे, यह सिवाय इमारत के कुछ नहीं था। अध्यापक राजिंदर कुमार के आने के बाद स्कूल की स्थिति बदली और परीक्षा परिणामों में काफी अंतर दिखा। समय लगा, लेकिन उन्होंने शिक्षण के फार्मूले से स्कूल को पूरी तरह बदल दिया और बाकी स्कूलों के लिए यह माडल बन गया।

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अध्यापक राजिंदर कुमार ने यहां ज्वाइन करते ही प्रण लिया कि वे बच्चों को प्राइवेट स्कूलों जैसी सुविधाएं देकर रहेंगे, लेकिन बजट आड़े आ गया। उन्होंने पहले प्राइवेट स्कूलों में दी जा रही सुविधाओं का अध्ययन किया और एक ऐसा फार्मूला बनाया जिससे बेहद कम लागत में प्राइवेट स्कूलों जैसी सुविधाएं दी जा सकें। देखते ही देखते यह स्कूल प्राइवेट स्कूलों को मात देने लगा। स्कूल में बच्चों की संख्या भी दोगुनी हो गई। उनके इस माडल को राज्य के 500 स्कूलों में लागू किया गया। इस बार राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित होने वाले वे पंजाब के इकलौते अध्यापक हैं।

बच्चों को खेल-खेल में आधुनिक संसाधनों से शिक्षा देने के लिए राजिंदर कुमार ने गांव के हुनरमंद लोगों का सहयोग लिया और लो कास्ट यानी कम कीमत वाला टीचिंग मटीरियल तैयार करवाया। बाजार में जिस लेंग्वेज लिस्निंग लैब की कीमत 35 हजार थी, उसे उनकी टीम ने मात्र 2000 से 2500 रुपये में तैयार कर दिया। खेल-खेल में पढ़ाई कराने के लिए बच्चों को खिलौने मुहैया करवाए। साउंड सिस्टम लगाया और एक कक्षा से दूसरी कक्षा को कनेक्ट किया। इससे बच्चों में आपसी मेलजोल और ज्ञान का आदान-प्रदान बढ़ा।

हुनरमंद लोगों की टीम बनाई

टीचिंग मटीरियल की कीमत कम करने के लिए राजिंदर कुमार ने गांव बाड़ा भाइका के हुनरमंद लोगों की एक टीम बनाई। इसमें राजमिस्त्री, बढ़ई, वेल्डिंग करने वाला, प्लंबर, कंप्यूटर इंजीनियर, माली, ड्रेस बनाने के लिए दर्जी आदि को शामिल किया। ये लोग बेहद कम कीमत पर स्कूल के लिए वस्तुएं तैयार करते हैं। इसी टीम ने प्रदेश के 500 से अधिक स्कूलों को सारा सामान उपलब्ध करवाया।

किसी सकारात्मक परिस्थिति में तो ज्यादातर लोगों को बेहतर करना आता है, लेकिन तरीके भी पता हों और उससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाभांवित करने का ख्वाब हो तो वो शिक्षक कहलाता है। आज बात राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान के लिए चुने गए फरीदकोट के शिक्षक राजिंदर सिंह की जिन्होंने पढ़ाने के लिए अपना एक फामरूला विकसित किया और कई स्कूलों में इसे माडल के तौर पर पहुंचा भी दिया।

मिल चुके कई पुरस्कार

उनके प्रयासों के चलते 15 अगस्त 2018 को मुख्यमंत्री के द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। 5 सिंतबर 2019 को शिक्षा विभाग की ओर से पुरस्कृत किया गया। इसके अलावा 2017 व 2019 में स्वतंत्रता दिवस पर जिला स्तर का सम्मान मिल चुका है।

खेल के साथ पढ़ाई भी

विद्यार्थी सुखवीर कौर का कहना है कि हम स्कूल में खेलते भी हैं और पढ़ते भी हैं। प्ले रूम में हमारी पसंद की कई चीजें हैं। कई नए गेम्स हैं। मैं यहां बहुत कुछ सीख रही हूं।

कोने-कोने से सीखती हूं

विद्यार्थी जश्नप्रीत कौर का कहना है कि ये स्कूल बाकी स्कूलों से अलग है। यहां की लाइब्रेरी काफी बड़ी है। यहां नई-नई किताबें हैं। मुङो पेंटिंग करना पसंद हैं। स्कूल की दीवारों पर भी पेंटिंग्स बनी हैं। मैं इन्हें देखकर पेंटिंग करती हूं।


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