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शिवालयों में जलाभिषेक करने पहुंचे भक्त

सावन के पहले सोमवार को शिवालयों में सुबह से ही भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 03:03 PM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2020 05:11 PM (IST)
शिवालयों में जलाभिषेक करने पहुंचे भक्त
शिवालयों में जलाभिषेक करने पहुंचे भक्त

संवाद सहयोगी, कोटकपूरा

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सावन के पहले सोमवार को शिवालयों में सुबह से ही भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया। कोटकपूरा के प्राचीन मठ डेरा बाबा दूधाधारी, प्रताप नगर स्थित श्री ऊषा माता मंदिर, श्री श्याम मंदिर, दुर्गा माता मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर, पीपल देव मन्दिर, गौशाला शिवालय, श्री ठाकुर जी मन्दिर, श्रीलक्ष्मी नारायण मंदिर, श्री गीता भवन, श्री संकट मोचन मन्दिर, श्री राम बाग शिवालय आदि में भक्तों ने सुबह से शिवलिंग पर जलाभिषेक किया।

लोगों की समझदारी के चलते कहीं भी लंबी लाइन नहीं लगी। बहुत से शिव भक्त मास्क भी लगा कर आए थे। मंदिर परिसरों में बम भोले, हर हर महादेव के नारे भी लगाए जा रहे हैं। भक्त ॐ नम: शिवाय का जाप और शिव चालीसा का पाठ भी कर रहे थे। डेरा बाबा दूधाधारी के गद्दीनशीन महंत नारायण गिरी जी ने बताया कि इस बार सावन का पावन महीना ही सोमवार शुरू हुआ है इसका अंत भी 3 अगस्त सोमवार के दिन ही होगा। इस बार सावन में कुल पांच सोमवार का दिन पड़ रहा है, जो बहुत ही शुभ माना जाता है। सावन के महीने में रोजाना या कम से कम सोमवार के दिन भगवान शिव पर धतूरा, भांग और बेलपत्र चढ़ाएं।

डेरा बाबा दूधाधारी में शिवरात्री को बहुत भारी संख्या में भक्त जमा होते रहते हैं। इस बार कांवड भी नहीं लाई जा रही हैं। शिवरात्रि 18 जुलाई को पड़ रही है। इस बार ऐसे प्रबंध करने की कोशिश की जा रही है कि भक्तजन बाहर से ही शिव को जल अर्पित करें। जिसका कनेक्शन शिवालय के अंदर प्रतिष्ठित शिवलिग और शिव परिवार की मूर्तियों से जुड़ा हो।

डेरा बाबा दूधाधारी में सैंकड़ों वर्ष पुराने बेल के पांच छह वृक्ष भी हैं। स्वामी नारायण गिरी जी ने कहा कि बेल को शिवजी का ही रूप बताया गया है। इस पेड़ की पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और उनके प्रसन्नता हमारी सभी परेशानियां दूर करती हैं। शिव पूजन में बेलपत्र उन्हें जरूर अर्पित करना चाहिए पर यह ध्यान रखें कि शिव पूजा में कटे-फटे बिल्व पत्र नहीं चढ़ाने चाहिए। बेल को श्रीवृक्ष भी कहते हैं। श्री देवी धन की देवी लक्ष्मी का ही एक अन्य नाम है।

बेलपत्र मिलने में मुश्किल हो तो उसके स्थान पर चांदी का बेल पत्र चढ़ाया जा सकता है जिसे नित्य शुद्ध जल से धो कर शिवलिग पर पुन: स्थापित कर सकते हैं। अमावस्या, संक्रांति के समय, चतुर्थी, अष्टमी, नवमी और चतुर्दशी तिथियों तथा सोमवार के दिन बेलपत्र तोड़ना वर्जित है।


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