होली मनाने से आपसी मतभेद खत्म होते है: रितु भारती
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से कोटकपूरा में स्थित गोबिदपुरी में एक दिवसीय सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
संवाद सहयोगी, कोटकपूरा : दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से कोटकपूरा में स्थित गोबिदपुरी में एक दिवसीय सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान साध्वी रितु भारती ने होली महोत्सव की महानता को बताते हुए कहा कि जैसे होलिका प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठ गई थी। क्योंकि उसको वरदान मिला था कि वह अग्नि में जलकर मर नहीं सकती। परंतु जैसे ही वह भक्त प्रहलाद को लेकर उसे मारने के लिए अग्नि में बैठती है तो स्वंय ही जल जाती है और प्रहलाद को कुछ भी नहीं होता। अब यहां पर विचारणीय बात यह है कि होलिका विकारों की प्रतीक है। जिस प्रकार एक साधक के भीतर ब्रह्मज्ञान की अग्नि प्रज्वलित होती है तो उसके अंदर के सारे विकार खत्म हो जाते हैं। फिर वही साधक कुंदन बनकर सामने आता है। क्योंकि प्रहलाद कुंदन के समान है और होलिका कोयले समान जो काला होता है। इसीके साथ होली का त्योहार इंसान के जीवन में रंग भर देता है। होली का पर्व एक इंद्रधनुष के समान है जो कई तरह के रंगों के साथ मन को रंग देता है। इसके मनाने से आपसी मतभेद खत्म हो जाते हैं। प्यार और भाईचारे की भावना पैदा होती है। होली हमारे और सब के जीवन में खुशियों के रंग लेकर आता है।