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बिट्टू हत्याकांड से गरमाई पंजाब की सियासत, फिर सुर्खियों में आया बेअदबी मामला

बरगाड़ी बेअदबी मामला एक बार फिर से सुर्खियां में है। इस मामले में गिरफ्तार डेरा सच्चा सौदा सिरसा के अनुयायी महिंदरपाल बिट्टू की नाभा जेल में हत्या से बवाल मचा हुआ है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 24 Jun 2019 05:19 PM (IST)Updated: Tue, 25 Jun 2019 08:32 AM (IST)
बिट्टू हत्याकांड से गरमाई पंजाब की सियासत, फिर सुर्खियों में आया बेअदबी मामला
बिट्टू हत्याकांड से गरमाई पंजाब की सियासत, फिर सुर्खियों में आया बेअदबी मामला

जेएनएन, फरीदकोट। बरगाड़ी बेअदबी मामला एक बार फिर से सुर्खियां में है। इस मामले में गिरफ्तार डेरा सच्चा सौदा सिरसा के अनुयायी महिंदरपाल बिट्टू की नाभा जेल में हत्या से बवाल मचा हुआ है। स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। इससे पहले भी बेअदबी मामले को लेकर फरीदकोट जिले में तनाव का माहौल कई बार पैदा हो चुका है। घटना को लेकर बार-बार धरना प्रदर्शन के कारण अक्सर यहां पुलिस प्रशासन के लिए संकट के हालात बन जाते है।

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दरअसल, इस क्षेत्र में डेरा अनुयायियों की भी अच्छी खासी संख्या है। ऐसे में जिला प्रशासन को हालात बेकाबू होने की आशंका दिखाई दे रही है। धर्म से जुड़ा मामला होने के बावजूद इस घटनाक्रम पर सियासत भी खूब हो रही है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी इस मुद्दे पर शिअद को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे, तो अकाली दल भी सरकार पर हमलावर है। 

विधानसभा और लोकसभा चुनाव में सुर्खियों में रहा मुद्दा

बरगाड़ी बेअदबी मामला वर्ष 2015 में शिअद सरकार के कार्यकाल में सामने आया था। उस समय किसी भी आरोपित को पकड़ा नहीं जा सका था। इसी कारण कभी कांग्रेस तो कभी आम आदमी पार्टी इस मसले को शिअद के खिलाफ एक राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करती है।

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान भी कांग्रेस व आम आदमी पार्टी ने बेअदबी का मामला प्रमुखता से उठाया था। इसका शिअद को राजनीतिक नुकसान भी झेलना पड़ा। विधानसभा चुनाव में जिला फरीदकोट ही नहीं बल्कि आसपास के कई जिलों में शिअद का सफाया हो गया। ज्यादातर सीटों पर उसके उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहे थे।

साल 2017 में सत्ता में आते ही कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार ने बेअदबी मामलों की जांच के लिए जस्टिस रणजीत सिंह आयोग का गठन किया। आयोग की रिपोर्ट के आधार पर बेअदबी से जुड़ी बहिबल कलां व कोटकपूरा गोलीकांड की घटनाओं में आरोपितों पर कार्रवाई शुरू करवाई। इस जांच की आंच भी शिअद और बादल परिवार तक पहुंची है। कांग्रेस ने हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान भी बेअदबी व गोलीकांड के मामलों को जोर शोर से उठाकर राजनीतिक लाभ हासिल किया।

यह था मामला

बेअदबी मामले की सबसे पहली घटना 1 जून, 2015 को बरगाड़ी से सटे गांव बुर्ज जवाहर वाला में सामने आई थी। उस दिन गांव के गुरूद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का पावन स्वरूप चोरी किया गया था। इसके बाद 24 सितंबर को इसी गुरुद्वारा साहिब के बाहर अश्लील शब्दावली का पोस्टर लगाया गया और पावन ग्रंथ की बेअदबी करने की घमकी दी गई। कुछ दिन बाद ही 12 अक्टूबर, 2015 को बरगाड़ी में पावन ग्रंथ की बेअदबी करने की घटना हुई। इन घटनाओं के विरोध में जगह-जगह धरने दिए गए। पुलिस ने बहिबल कलां व कोटकपूरा में बल प्रयोग करके धरना समाप्त करवाया। इसी दौरान गोलीबारी में बहिबल कलां में दो युवकों की मौत हो गई थी, जबकि कोटकपूरा में भी कई लोग घायल हुए।

बेअदबी मामले की जांच अधूरी

सरकार ने बेअदबी मामलों की जांच सीबीआइ को सौंपी थी। लंबी जांच के बाद भी सीबीआइ को कोई सुराग नहीं मिला। पिछले साल जून में पंजाब पुलिस ने बरगाड़ी केस में डेरा अनुयायियों के शामिल होने का दावा किया। पुलिस ने आरोपित महिंदरपाल बिट्टू समेत 10 डेरा प्रेमियों को गिरफ्तार कर अपनी जांच रिपोर्ट सीबीआइ को सौंपी। हालांकि सीबीआइ ने जांच आगे नहीं बढ़ाई और मामला जस का तस है।

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