काम न मिलने से मजदूर व मिस्त्री परेशान
कर्फ्यू के खत्म होने के बावजूद मजदूरों को अब पहले की तरह काम नहीं मिल रहा है।
संवाद सहयोगी, कोटकपूरा
मुक्तसर रोड पर स्थित रेलवे ओवरब्रिज के नीचे मिस्त्री मजदूर यूनियन के अड्डे पर मजदूरों ने कहा कि कर्फ्यू खत्म होने के बावजूद उनको अब पहले की तरह काम नहीं मिल रहा है। शिदर सिंह मिस्त्री समेत अन्य मजदूरों ने कहा कि कर्फ्यू के दौरान इनको सामाजिक संस्थाएं लंगर राशन पहुंचाती रही जो अब लगभग बंद हो चुका है। कर्फ्यू से पहले एक मजदूर औसत 8000 रुपये महीना और मिस्त्री औसत 15000 की कमाई कर लेता था। अब पहले की तरह काम नहीं मिल रहा।
सीमेंट तथा अन्य सामान महंगा हो चुका हैं। लोगों के पहले से किराये पर चढ़े हुए बहुत से भवनों का किराया ही नहीं मिल रहा तो आगे नए भवन कौन बनाए। एक मिस्त्री की दिहाड़ी 600 रुपये और मजदूर की दिहाड़ी 350 रुपये है। लेकिन लगातार काम न मिलने की वजह से कई मिस्त्री मजदूर कम पैसे लेकर भी काम करने को तैयार हो जाते हैं।
लंबे लॉकडाउन ने मिस्त्री मजदूरों की कमर तोड़कर रख दी है। कुछ मिस्त्री मजदूर कर्ज तले भी दबे हैं। बहुत से मिस्त्री मजदूरों की पत्नियों के पास जनधन खाते या उज्ज्वला योजना के सिलेंडर नहीं हैं। कइयों के नीले कार्ड ही नहीं बने। मिस्त्री मजदूरों की मांग है कि अब कर्फ्यू में राहत के चलते लाभपात्री मिस्त्री मजदूरों की पहचान करके इनकी तथा इनकी पत्नियों के जनधन खाते खोलकर उज्ज्वला योजना तथा अन्य लाभ दिलाए जाएं। मिस्त्री मजदूरों को रजिस्टर्ड कर जिन मजदूरों के बीपीएल कार्ड नहीं बने उनके बीपीएल कार्ड भी बनाकर दिए जाएं। इसके लिए सरकारी तौर पर शिविर लगाए जाएं।